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सरस्वती के कतिपय ऋग्वैदिक विशेषणों की विवेचना
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तथा 'कन्या' दोनों को अर्थ करते हैं । दूसरे
उन्होंने इसी प्रसङ्ग में ग्रासमान तथा लुडविग को उद्धृत किया है, जो पवीरु का अर्थ 'विद्युत् ' करते हैं । ग्रीफिथ पहले मंत्र के 'पावीरवी' संयुक्त कर 'लाइटनिंग्स चाइल्ड' अर्थात् विद्युत्सुता ऐसा मंत्र के केवल 'पावीरवी' का अर्थ 'लाइटनिंग्स डाटर' विद्युत्सुता ही करते हैं, जब की पुत्र्यर्थ सूचक कोई शब्द वहाँ नहीं है । 'तन्यतुः' से पुत्र्यर्थ सूचक अर्थ यहाँ भी नहीं निकलता, जिसका अर्थ स्वयं ग्रीफिथ के द्वारा 'गरजो' इस 'आज्ञावाचक' अर्थ का सूचक है ।
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पुलिंग शब्द 'पावीरव' में डीप् प्रत्यय जुड़कर स्त्रीलिंग 'पावीरवी' शब्द बना हैं । डा० मोनियर विलियम्स के मत से 'पावीरव' शब्द का अर्थ 'विद्युत् से निकलना या विद्युत् से सम्बन्ध रखना' है । उन्होंने स्त्रीलिंग में इसी शब्द के अर्थ को 'विद्युत् की पुत्री' स्वीकार करते हुए, वास्तव में उसे विद्युत्ध्वनि माना है । शब्द का मूल 'पवीरु' है, जिसका अर्थ उन्होंने 'विद्युदाभ२७ किया है । 'पावन' शब्द से 'पावीरवी' का सम्बन्ध जोड़ना कुछ अनुचित सा प्रतीत होता है । सायण 'पावीरवी ' का अर्थ 'शोधयित्री' कर 'पावन' से अनुप्राणित हुए होंगे, ऐसा जान पड़ता हैं, परन्तु 'पावन' 'पावीरवी' के निष्पत्ति क्रम में एक सुसंयत एवं सुबद्ध कड़ी प्रतीत नहीं होता । इसके अतिरिक्त दो और शब्द -' -'पवीर' तथा 'पविः' हैं, जिनसे 'पावीरवी' शब्द का सम्बन्ध जोड़ना अधिक संभव जान पड़ता है । 'पवीर' का वैदिक अर्थ 'शलाका अथवा शूल'२८ है । दूसरा शब्द 'पविः' हमारी समस्या को अधिक सरलता से सुलझाता हुआ प्रतीत होता है, जिसका अर्थ निम्न प्रकार किया गया है :
'इन्द्र - कुलिश; कुलिश अथवा शर का अग्र भाग; वाणी; अग्नि २९
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इस प्रकार शब्द के अध्ययन से ज्ञात होता है कि 'पावीरवी' का संबन्ध इन्हीं शब्दों से है । इनमें से भी 'पविः' के साथ इसका सम्बन्ध घनिष्ठ जान पड़ता है । 'पवि' इंद्र का अस्त्र माना गया है, जिससे वह उन शत्रुओं का संहार करते हैं, जो सृष्टि क्रम में बाधा डालते हैं । जब वह अस्त्र का प्रयोग करते हैं, उस समय गम्भीर ध्वनि होती है। बहुत से धर्म-दर्शनों में इस बात पर बल दिया गया है कि सृष्टि की उत्पत्ति शब्द से हुई है । वे शब्द देवताओं के इच्छा स्वरूप थे । देवताओं ने अपना
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होंठ भड़फड़ाया, शब्द बाहर आए और सृष्टि प्रक्रिया प्रारम्भ हो गई । तीन देवियों -
२५. मोनियर विलियम्स, ए संस्कृत इङ्गलिश डिक्शनरी, ( लन्दन, १८७२ ),
पृ० ५७१
२६. वही, पृ० ५७१
२७. वही, पृ० ५५८
२८. वामन शिवराम आप्टे, दि प्रैक्टिकल संस्कृत इंगलिश डिक्शनरी (पूना, १८९०), पृ० ६८८
२६. वही, पृ० ६८८