Book Title: Sanskrit Sahitya Me Sarasvati Ki Katipay Zankiya
Author(s): Muhammad Israil Khan
Publisher: Crisent Publishing House

View full book text
Previous | Next

Page 131
________________ ब्राह्मणों में सरस्वती का स्वरूप ११३ के कारण उन से गाज (foam) उत्पन्न हुआ। इसी प्रकार गाज को तपाया गया तथा उससे मिट्टी उत्पन्न हुई। जब मिट्टी तपाई गई, तब उससे बालू उत्पन्न हुआ। उसी प्रकार बालू से कङ्कड़, कङ्कड से पत्थर, पत्थर से धातु और अन्त में स्वर्ण उत्पन्न हुआ । यही प्रजापति का क्षरण-व्यापार है तथा उसका हर व्यापार प्रति अक्षर का प्रतिनिधित्व करता है, जो गायत्री से उपलब्ध है। इस प्रकार गायत्री आठ अक्षरों वाली बनी। कहा जाता है कि वाक् ने इस संसार की उत्पत्ति की। गायत्री भी यही कार्य करती है । वह प्रजापति के संसर्ग से संसार के सर्जन में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। त्रिषधस्था के रूप में सरस्वती तीनों संसार, पृथिवी, आकाश तथा धुलोक का प्रतिनिधित्व करती है ।" गायत्री को भी त्रिपदा कहते हैं तथा शतपथब्राह्मण की कथा के अनुसार वह प्रजापति से समुत्पन्न है । प्रजापति ने तीनों संसार, पृथिवी, आकाश तथा धुलोक का निर्माण किया तथा गायत्री के तीन चरण उनका प्रतिनिधित्व करते हैं। यही गायत्री सरस्वती का प्रतिनिधित्व करती है, जो अपने भिन्न-भिन्न व्यक्तित्त्वों से भिन्न-भिन्न क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करती है । वह इडा के रूप से पृथिवी का, सरस्वती के रूप से आकाश तथा भारती के रूप से स्वर्ग का प्रतिनिधित्व करती है । ऐतरेय-ब्राह्मण में वाक् को प्रजापति की सन्तान माना गया है। यही वैदिक प्रजापति वैदिकेतर साहित्य में ब्रह्मा बन गया है तथा जगत् का स्रष्टा जाना जाता है । ब्रह्मा तथा प्रजापति के व्यक्तित्व का ऐक्य ऐतरेयब्राह्मण में उपलब्ध होता है, जहाँ गायत्री उसका क्षरण है तथा व्याहृति भूः भुवः तथा स्व: हैं। इन्हीं व्याहृतियों का उन तीन अक्षरों से समन्वय हो गया है, जो ॐ का निर्माण करती हैं तथा यह ओ३म् ब्रह्म का प्रतीक है । प्रजापति का छन्दों से तादात्म्य इस प्रकार बताया गया है कि विश्व की उत्पत्ति का सिद्धान्त वाक् से जुड़ा हुआ है तथा यह वाक् छन्द के रूप से मन है ८६. वही, ६.१.३.२ ८७. वही, ६.१.३.३ ८८. वही, ६.१.३.४ ८६. वही, ६.१.३.५ ६०. वही, ६.१.३.६ ९१. ऋ० ६.६१.१२ ६२. ऐ० बा० २० ६३. तु० डॉ० मुहम्मद इसराइल साँ, पूर्वोद्धृत ग्रंथ, पृ० ६४-६८ ६४. ऐ० वा०, २० ६५. वही, २० ६६. २० मा० ६.२.१.३०

Loading...

Page Navigation
1 ... 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164