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संस्कृत-साहित्य में सरस्वती की कतिपय झाँकियाँ
सरस्वती का एक अन्य पौराणिक विशेषण उसकी दशा - विशेष का बड़ा सुन्दर परिचय कराता है । सरस्वती के विषय में कहा गया है कि वह जिला पटियाला में बहुत पहले विनष्ट हो गई । उसके विनष्ट होने का स्थान 'विनशन' नाम से विख्यात है' । लुप्त होने के पूर्व इसकी गति में 'स्खलन' एवं 'विकृति' आ चुकी थी । गति स्थान-स्थान पर अवरुद्ध हो गई थी तथा कई स्थानों पर गहरे जल - कुण्ड बन चुके थे । 'सरस्वती तु पञ्चधा सो देशोऽभवत् सरित् ' में 'पञ्चधा' सम्भवतः सरस्वती की इसी दशा की ओर सङ्क ेत करता है । सरस्वती की एतत्सम्बन्धी गति का पुराणों में बहुत सुन्दर सङ्केत मिलता है । यहाँ उसे 'दृश्यादृष्यगतिः' कहा गया है । जव सरस्वती मरणासन्नावस्था में दिखाई देती थी, तब 'दृश्यगति" थी, और जब छुप जाती थी, तब 'अदृश्यगति' । चूँकि वह कुरुक्षेत्र से होकर बहती थी, अत एव वह 'कुरुक्ष त्रप्रवाहिनी " कहलाती थी । सरस्वती सदैव शुभ-जल का वहन किया करती थी, अत एव उसे सायुज्य पौराणिक उपाधियों - यथा 'पुण्दा', 'पुण्यजननी, पुण्यतीर्थस्वरूपिणी, पुण्यवदिर्भानषेव्या, स्थितिः पुण्यवतान्', 'तपस्विनां तपोरूपा, पररूपिणी, ज्वलदग्निस्वरूपिणी', 'तीर्थरूपातिपावनी ", 'शुभा', 'पुण्या, ' 'पुण्यजला', 'पापनिर्मोका', 'सर्वपापप्रणाशिनी', 'प्रतिपुण्या', 'पुण्यतोया",
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१. मैक्स म्यूलर, सेकरेड बुक्स आफ दि इस्ट, भाग १४ (दिल्ली, १६६५), पृ० २, फूट नोट ८ २. यजुर्वेद, ३४.११
३. रे चौधरी, एच०सी० 'दि सरस्वती', साइंस एन्ड कल्चर, ८ (१२), (१९४२), पृ० ४७२
४. वामन पुराण, ३१.२; तु० डा० दिनेशचन्द्र सरकार, 'टेक्ट्स आफ दि पुराणिक लिस्ट ऑफ रीवर्स', दि इंडियन हिस्टारिकल क्वार्टरली, भाग २७, न० ३, पृ० २१६; "Saraswati rises in the Sirmur hills of the Siwalik ranges in the Himalayas and emerges into the plains at Ad Badari in the Ambala District, Punjab. It disappears once at Chalur but reappears at Bhawanipur; then it disappears at Balchapper, but again appears at BaraKhera
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५. वामन पुराण, ३२.१
७. ब्रह्मवैवर्त पुराण, २.६.२, १२ ६. वही, २.६.३
११. वामनपुराण, ३२.२
१३. पद्मपुराण, ५.२७.११६
१५. स्कन्दपुराण, ७.३४.३१ १७. वही, ३७.२६, ३८
६. वही, ३२.२४
८. वही, २.६.२
१०. वही, २.७.४
१२ . वही, ३२.२४; ३४.६ १४. वही, ५.२७.११६
१६. वामनपुराण, ४२.६