Book Title: Sanskrit Sahitya Me Sarasvati Ki Katipay Zankiya
Author(s): Muhammad Israil Khan
Publisher: Crisent Publishing House

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Page 83
________________ पुराणों में सरस्वती की प्रतिमा ताल को उत्तम, मध्यम एवं अधम तीन श्रेणियों में विभक्त किया गया है। सबसे लम्बा दशताल (उत्तम दशताल) सम्पूर्ण प्रतिमा की लम्बाई को १२४ समभागों में विभक्त करता है, मध्यम १२० तथा अधम ११६ भागों में ।' मुख-निर्मिति कुक्कुटाण्डाकार बताई गई है । शिल्परत्न में दशतालों के तीनों भेदों की विशद् व्याख्या की गई है' और अङ्गल की व्याख्या मानसार शिल्पशास्त्र में बड़े सुन्दर ढङ्ग से की इस प्रकार मुख की जो उपर्युक्त व्याख्या की गई है, उसे मूर्ति-विद्या के क्षेत्र में बड़ी मान्यता मिली है, लेकिन जहाँ तक पुराणों का प्रश्न है, वे इतने विस्तारपूर्वक किसी देवी एवं देव के मुख, तदनुसार, उनकी प्रतिमा-निर्माण की व्याख्या नहीं करते । पर इतना अवश्य है कि उन्होंने देवताओं और देवियों के सिरों की संख्या निश्चित करने का श्लाघनीय कार्य किया है। इतना होते हुए भी उनमें एतत्संख्या-विषयक मतैक्य नहीं है । सरस्वती के साथ भी यही प्रश्न है । वे उन्हें अनेक रूपों से चित्रित करते हैं। अपने जनक ब्रह्मा की भाँति उन्हें एक से लेकर चार मुखों वाली बताया गया है। कहीं-कहीं उनके पञ्चमुखी होने का भी सङ्केत मिलता है । मत्स्यपुराण के अनुसार १. प्रसन्नकुमार आचार्य, इण्डियन आर्किटेक्चर अकार्डिङ्ग टू मानसार-शिल्पशास्त्र (आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस, लन्दन, १९२७), पृ० ७८, १२३ २. वही, पृ० ८४ "'The face is taken as the standard of the tala measurement and is generally twelve angulas or about nine inches in length. The face is stated to be of vocal shape (Kukkut anda-samakara, lit, 'shaped like the egg of a ben.')". ३. श्री कुमार, शिल्परत्न, ५.१-११४.१/२; ६.१-१०.१/२; ७.१-४२.१/२ ४. प्रसन्न कुमार आचार्य, शिल्पशास्त्र, ए समरी ऑफ दि मानसार, पी-एच० डी० की उपाधि के लिए लीडेन विश्वविद्यालय में प्रस्तुत प्रबन्ध), पृ० ३५ "The paramanu or atom is the smallest unit of measurement. 8 paramanu -- 1 rathadhuli (lit. car-dust). 8 rathadhulis = 1 balagra (lit. hair' 8 balagras -- 1 liksha (lit. nail) 8 likshas = 1 yuka (lit. a lense). 8 yukas = 1 yava (lit. a barley corn). 8 yavas = 1 angulas (lit. finger's breadth). Three kinds of angulas are distinguished by the largest of which is made of 8 yavas, the intermediate of 7 yavas, and the smallest one of 6 yavas......

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