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संस्कृत-साहित्य में सरस्वती की कतिपय
अब अन्त में मोर का तात्पर्यार्थ प्रस्तुत किया जा रहा है । मोर के लिए संस्कृत में 'शिखिन्' शब्द का प्रयोग मिलता है । यह 'शिखिन्' शब्द मोर तथा afro अर्थ का वाचक है । २५ अग्नि का तादात्म्य सरस्वती से और सरस्वती ( वाणी ) का तादात्म्य यज्ञ से है । २७ अग्नि की तीन लपटें (forms) सरस्वती के तीन रूपों का प्रतिनिधित्व करती हैं । सम्भवतः सरस्वती अग्नि के साथ अपने अटूट सम्बन्ध को अभिव्यक्त करने के लिए मोर को वाहन बनाती है, जो मोर अग्नि का प्रतीक है ।
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२५. मोनियर विलियम्स, पूर्वोद्धृत ग्रंथ, पृ० १००५ २६. वामनपुराण, ३२. १०; ऋ०२. १. ११ २७. शतपथब्राह्मण, ३. १. ४९.१४
"vvag vai sarasvati vvag yajnah."