________________
संस्कृत-साहित्य में सरस्वती की कतिपय झाँकियाँ
पुराणों में कहा गया है कि ब्रह्मा ने अपने मुख से सब वेदों एवं शास्त्रों को उत्पन्न किया । सरस्वती सभी देवियों में एक प्रधान देवी है तथा वह सभी विद्याओं एवं विज्ञानों का प्रतिनिधित्व करती है। इस भाव की अभिव्यक्ति के लिए ही पुराणों में उसके दो हाथों में पुस्तक तथा कमण्डलु को प्रस्थापित किया गया है । सभी ज्ञान वेदों से समुद्भूत हैं तथा वेद ब्रह्मा के मुख का प्रतिनिधित्व करते हैं । विद्या-देवी के रूप में सरस्वती ब्रह्मा की पुत्री है। प्रकृत सन्दर्भ में इसका अर्थ यह हुआ कि वह वाक् के रूप में वेदों (ब्रह्मा के मुखों) से उत्पन्न हुई है। पुराणों में ब्रह्मा एवं सरस्वती के मध्य प्रेम-वर्णन पूर्ण रूप से प्रतीकात्मक है, क्यों सरस्वती पवित्र ज्ञान का प्रतिनिधित्व करती है, न कि अशुद्ध ज्ञान का । हमारे कहने का तात्पर्य यह है कि ज्ञान की देवी के रूप में सरस्वती पवित्र ज्ञान का प्रतिनिधित्व करती है। यह उपकथा अरसिकता को जन्म देती है। यही कारण है कि कालान्तर में ब्रह्मा को स्वत: अपनी पुत्री के पति-रूप में चित्रण करने का विचार त्याग दिया गया।
२५. वी० वी० दीक्षित, पूर्वोद्धृत ग्रंथ, पृ० ६७