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सरस्वती का पौराणिक नदी - रूप
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स्वयं ही नदी बनकर गौतमी गङ्गा में मिल गयी ।'
संक्षेपतः यहाँ सरस्वती का देवी से नदी में परिणत होने का विवेचन किया गया है । आगे इसके उद्गम स्थल का वर्णन किया जा रहा है ।
(ब) भौतिक उत्पत्ति :
(१) पुराणों में नदियों के उद्गम स्थलों का वर्णन भिन्न-भिन्न स्थलों पर किया गया है । इनका वर्णन बड़ा ही सुसम्बद्ध है। नदियाँ पर्वतों से निकल कर मैदानों अथवा समुद्रों में गिरती हैं। पुराणों में भिन्न-भिन्न नदियों के स्रोतों का वर्णन स्थानविशेष की दृष्टि से किया गया है । यथा - ऋक्ष निःसृताः, परियात्र - निःसृताः, हिमवत्पाद - निःसृताः, मलय-निःसृताः, महेन्द्र - निःसृताः, विन्ध्यापाद निःसृताः, शुक्तिमत्पाद - निःसृताः, सह्यपाद- निःसृताः इत्यादि । इनमें सरस्वती का उद्गम 'हिमवत्पाद' है तथा उसी स्रोत से उद्भूत उसकी अन्य सहचारिणी नदियाँ - इक्षु, गोतमी, निश्चीरा, शतद्रु, इरावती, चन्द्रभागा, बाहुदा, सरयू, कुहू, तृतीया, यमुना, कौशिकी, दृषद्वती, लौहित्य, सिन्धु, गङ्गा, देविका, वितस्ता, गण्डकी, धूतपापा, विपाशा इत्यादि हैं ।
(२) यही नहीं, नदियों का वर्णन समुदाय विशेष से सम्बद्ध रूप में भी पाया जाता है । इस यत्न में स्कन्दपुराण विशेष उल्लेखनीय है । यह भारतवर्ष की सम्पूर्ण नदियों को ग्यारह समुदायों में विभक्त करता है : (१) सीता-चक्षु समुदाय, ( ब ) सिन्धु समुदाय, ( स ) सरस्वती - दृषद्वती समुदाय, ( द ) गङ्गा-यमुना समुदाय, (य) ब्रह्मपुत्र समुदाय, (र) शिप्रामही समुदाय, (ल) शाभ्रमती समुदाय, (व) नर्मदा - ताप्ती समुदाय, (श) महानदी समुदाय, ( प ) कृष्णा-गोदावरी समुदाय, तथा (ह) कावेरी कृतमाला समुदाय । इस प्रकार के विभाजनों में सरस्वती का सम्बन्ध 'सरस्वती-शद्वती' समुदाय से है । इसकी उत्पत्ति ब्रह्मा से बताई गई है । अनेक स्थानों एवं तदनुरूप विभिन्न नामों को धारण करती हुई, वह अन्ततोगत्वा पश्चिमी समुद्र में जा गिरती हैं । यहाँ उसे ब्रह्मा से उत्पन्न कहा गया है, अत एव वह नदी रूप में भी 'ब्रह्मा-पुत्री' हुई । इसकी पुष्टि श्री हेमचन्द्राचार्य के वचनानुसार भी की जा सकती है, जो सरस्वती नदी को (१) 'ब्रह्म
१. तु० आनन्द स्वरूप गुप्त, पूर्वोद्धृत ग्रन्थ, पृ० ७०-७१
२. यशपाल टण्डन, अ कान्कारडेन्स ऑफ पुराण काण्टेण्ट्स (विश्वेश्वरानन्द वैदिक रिसर्च इन्स्टीच्यूट, होशिआरपुर, १९५२), पृ० ५१-५२
३. वही, पृ० ५२, तथा द्र० वासुदेवशरण अग्रवाल, मार्कण्डेय पुराण: एक समीक्षात्मक अध्ययन (इलाहाबाद, १९६१), पृ० १४६
४. डॉ० ए.बी.एल. अवस्थी, स्टडीज इन स्कन्दपुराण भाग १ ( लखनऊ, १९६६), पृ० १४६, १५३, १५४