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ऋग्वैदिक सरस्वती-नदी
३३ में कुरु, पुरु तथा भरत मुख्य हैं । इनमें से कुरु का घनिष्ट सम्बन्ध 'कुरुक्षेत्र' से था।६ पुरु लोग कुरु लोगों से पारस्परिक विवाहादि सम्बन्ध से अति निकट थे ।" भरत लोग भारती के उपासक थे, जो सरस्वती नदी से सम्बद्ध एक देवी थी। भारती के भक्त होने के कारण वे भरत कहलाते थे। इन सब लोगों का सम्बन्ध पश्चिमी भारत, विशेष कर पूर्वी पंजाब तथा दक्षिणी राजस्थान से था, अत एव इन सब पुष्ट प्रमाणों के आधार पर वैदिक सरस्वती को पश्चिमी भारत विशेष-रूप से पूर्वी पंजाब तथा दक्षिणी राजस्थान से प्रवाहित होने वाली नदी माना जाना सर्वथा युक्तियुक्त है।
३६. तु० मैकडानेल एण्ड कीथ, पूर्वोद्धृत ग्रंथ, भाग १, पृ० १६५-१६७; ____ इण्डियन हिस्टारिकल क्वार्टरली, भाग २६, नं० ४, पृ० २६३ आगे ३७. तु० मैक्डानेल एण्ड कीथ, पूर्वोद्धृत ग्रंथ, भाग २, पृ० १२ ३८. डोनाल्ड ए० मेकेंजी, इण्डियन मिथ् एण्ड लेजेण्ड (लण्डन, १९१३), ... भूमिका भाग, पृ० ४०