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तृतीय खण्ड : इतिहास के उज्ज्वल पृष्ठ १.११८ खरतरगच्छ का संक्षिप्त परिचय
महोपाध्याय विनयसागरजी १-३५ खरतरगच्छ का उद्भव १,'आचार्य वर्धमानसूरि ५, जिनेश्वरसूरि ७, जिनचन्द्रसूरि ७, अभयदेव सूरि ७ जिनवल्लभ सूरि ८ जिन-युगप्रधान दादा जिनदत्तसूरि १०, मणिधारी जिनचन्द्रसूरि ११, युगप्रवरागम जिनपतिसूरि १२, जिनेश्वरसूरि (द्वितीय) १६, जिनप्रबोधसूरि १८, कलिकाल केवली जिनचन्द्रसूरि १६, दादा श्री जिनकुशलसूरि २१, जिनपद्मसूरि २३, जिनलब्धिसूरि २४, जिनचन्द्रसूरि २४, जिन राजसूरि २५ जिनभद्रसूरि २६, जिनचन्द्रसूरि २७, जिनसमुद्रसूरि २७, जिनहंससूरि २८, जिन माणिक्यसूरि २८,युगप्रधान जिनचन्द्रसूरि २८, जिनसिंहसूरि ३१, जिन
राजसूरि ३२, जिनरत्नसूरि ३३, जिनचन्द्रसूरि ३४ जिनसुखसूरि ३४ जिनभक्तिसूरि ३५, जिनलाभसूरि ३५।
चार दादा गुरुओं का संक्षिप्त जीवन परिचय क्रान्ति के विविधरूप तथा धार्मिक क्रान्तिकारक दर्शनाचार्य साध्वी शशिप्रभाश्रीजी ३७ खरतरगच्छ की संविग्न साधु परम्परा का परिचय मंजुल विनयसागर जैन ४४
- सुखसागरजी म. का समुदाय ४४-५४ उपाध्याय प्रीतिसागरगणि, वाचक अमृतधर्मगणि, उपाध्याय क्षमा कल्याण, धर्मविशालजी, राजसागरजी, ऋद्धिसागरजी, गणाधीश सुखसागरजी, गणाधीश भवनसागरजी, तपस्वी छगनसागरजी, त्रैलोक्यसागरजी जिनहरिसागरजी, जिनानन्दसागरसूरि, जिनकवीन्द्रसागरसूरि, महोपाध्याय सुमतिसागरजी, जिनमणिसागरसूरि जिनउदयसागरसूरि, जिनकान्तिसागरसूरि ।
। श्री जिनकृपाचन्द्रसूरिजी का समुदाय ५४-५६ जिन जयसागरसूरि, उपाध्याय सुखसागरजी, मुनि कान्तिसागर जी
0 श्री मोहनलालजी म. का समुदाय ५६-६४ जिनयशसूरि, जिनऋद्धिसूरि, जिनरत्नसूरि, गणिवर्या श्री बुद्धिमुनिजी । सुखसागरजी म. के समुदाय की साध्वी परम्परा का परिचय सन्तोष विनयसागर ५६-६४
पूज्य उद्योतश्रीजी, प्र. लक्ष्मीश्रीजी म. प्र. पुण्यश्रीजी म. प्र. सुवर्णश्रीजी, म. प्र. ज्ञानश्रीजी, म. उपयोगश्रीजो, म. प्र. विचक्षणश्रीजी. प्र. सज्जनश्रीजी।
[] शिवश्रीजी म. का समुदाय ६५ प्र. प्रतापश्रीजी, प्र. देवश्रीजी, प्र. प्रेमश्रीजी, प्र. बल्लभश्रीजी प्र. प्रमोदश्री, प्र. जिनश्रीजी।
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