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( १७ )
श्रब्दार्चन : काव्यांजलियाँ
करते तेरा अभिनन्दन! गणी मणिप्रभसागरजी हे दिव्य ज्योति ! हे ज्ञान ज्योति शशिकर खटका
___ अभिनन्दन श्रावक श्री 'छगन'
सबका नम्र प्रणाम श्री मोहन सोनी सज्जनश्रियमहं बहुशोऽभिनन्दे मुनिश्री ललित प्रभ सागरजी
पद्य-पुष्पम् (संस्कृत) पं० ब्रह्मदत्त शर्मा गुरुपरम्परा प्रशस्तिः (संस्कृत) श्री भवरलाल नाहटा
अभिनन्दन स्वीकारो सुदीप एवं गौरव लूनिया
शत-शत प्रणतियाँ साध्वी शशिप्रभाश्रीजी
अभिनन्दन स्वीकारो साध्वी प्रियदर्शनाजी अज्जा सज्जणसिरी अहिणंदणं (प्राकृत) डॉ. उदयचन्द जैन
आर्या प्रियदर्शनाश्री कोटि-कोटि अभिनन्दन प्रवर्तक श्री महेन्द्र मुनि 'कमल'
चन्द्रप्रभाश्रीजी शत-शद वन्दन विजयकुमार जैन
नारी के प्रति मनु पुण्य-पुण्य लोका सज्जनश्रीजी श्रीमती राजकुमारी वेगानी
सूरज सरीखा व्यक्तित्त्व डॉ. संजीव प्रचंडिया सज्जन नाम है तुमने पाया सुरेखाश्री
शत-शत अभिनन्दन कु० कविता डागा तुमको मेरा प्रणाम सुधाकर श्रीवास्तव अनुपम अद्वितीय कुमारी अनुपमा लूनिया
मुक्तक साध्वी मधुस्मिता श्रीजी कोटि-कोटि वन्दना पदमा लूनिया
आस्था के मोती सुश्री प्रतिभा लूनिया गुरुवर्या सबसे आली है प्रकाशचन्द बांठिया
गजल उमा श्रीवास्तव आगमज्ञा सज्जनश्री प्यारा मुथा हे सज्जनश्रीजी महाराज पराक्रमसिंह चौधरी
भावधारा अजयकुमार गोलेछा पुष्पांजली केसरीसिंह चौरडिया
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