________________ 10] * रत्नपाल नृप चरित्र के सब स्थानों में गरीबों को देना चाहिए। क्योंकि सर्वजनहितकारी सर्वज्ञों ने कहीं भी उसका निषेध नहीं किया है। उत्तम क्षेत्र, बीज, वर्षा और पवन से जिस प्रकार उत्तम खेती होती है, इनमें से एक किसी के अलग होने पर या तो खेती मध्यम होती है या निष्फल हो जाती है। उसी तरह उत्तम पात्र, वित्त, भाव और अनुमोदन से दान भी उत्तम होता है, इनमें से किसी एक के अलग होने पर या कम होने पर दान मध्यम या निष्फल हो जाता है। मनुष्यों द्वारा समय पर सत्तात्र में दिया हुया श्रद्धापूर्वक दान स्वाति नक्षत्र में मेघ द्वारा सीपी में गिरा हुआ जल जैसे मोती का रूप पाता है, उसी तरह दान भी सोहता है। उत्तम 2 खाद्य और स्वादिष्ट भोजन तो रहने दो, केवल सत्पात्र में दिया जल भी अभीष्ट अर्थ की सिद्धि के लिए होता है। भयङ्कर गर्मी की ऋतु में तृषा से पीड़ित साधुओं को दिया हुआ जल-दान भी रत्नपाल राजा को अद्भुत सम्पत्ति का देने वाला हुआ, जिसका वर्णन आगे किसी परिच्छेद में होगा। विद्याप्रेमी सुरेन्द्र मुनिकृते रत्नपाल नृप चरित्रे भाषानुवादे दानादि सम्वादो नाम प्रथमः परिच्छेदः। P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust