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BASIROER:CAREGAORE
अपना पाल्पाका प्रभाव करि उद्भट जो वीय शक्ति ताका योगका रक्षणमैं सावधान अर परिषदनिके पापोडन पर दृष्ट कहिये खोटे प्राणी नर तिय च देव इनिका आगमनमें अपना पराक्रममें प्रवीण असे आचार्यनिनै मैं पूजू हूँ॥५७०॥
ओं ह्रीं वीर्याचारसयुक्ताचार्यपरमेष्ठिभ्योऽय। चतुर्विधाहारविमोचनेन द्विव्यादिघस्रेषु तृषाक्षुधादेः ।
अम्लानभावं दधतस्तपस्थानामि यज्ञे प्रवरावतारान् ॥ ५७१॥ खाद्य स्वाध लेख पेय च्यार प्रकार आहारका छोडवा करि दोय तीन चार पत पास आदि दिनमें तृवा तुधादिकत नहीं पसीनताकू काधारते अर तप तिष्ठते अर उत्कृष्ट जन्मयुक्त असे आचार्यनिन मैं पूजू हूँ॥५७१॥
ओं ही अनशनतपोयुक्ताचार्यपरमेष्ठिभ्योऽय। विभागभोज्ये क्षितिवेदवनिगासाशने तुष्टिमतो मुनींद्वान् ।
ध्यानावधानाधभिवृद्धिपुष्टान् निद्रालसौ जतुमितान् यजामि ॥ ५७२॥ अर तीनभागमात्र भोजनमें भी एक च्यारि तीन आदि ग्रासमात्र भोजनमें अपना संतोष धारते पर ध्यानकी सावधानी आदिको वृद्धिकार पुष्ट अर निद्रा अर पालस्याजीतवेकू समर्थ असे मुनींद्र आचार्य तिनने में पूजू हूं ॥५७२ ॥
ओं ही अवयोदर्यतपोऽभियुक्ताचार्यपरमेष्टिभ्योऽर्घम् । शृंगागंलग्नं वसनं नवीनं रक्तं निरीक्ष्यैव भुजिं करिष्ये ।
इत्यादिवृत्तौ निरतानलक्ष्यभावान् मुनींद्रानहमर्चयामि ॥ ५७३॥ गौका श्रृंगामें लगा लाल वस्त्रन देखू तब भोजन करू इत्यादि अटपटी वृत्तिम प्रवीण अर अलक्षित है अभिनाय जिनका असा मुनींद्रनै मैं पूजू हूं ॥५७३ ॥
भों ही वृत्तिपरिसंख्यातपोभियुक्ताचायपरमेष्ठिभ्योऽर्घम् ।
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