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249. प्राकृत में संधि-समास-विधान ___ जब किसी शब्द में या दो शब्दों के बीच में दो वर्ण (स्वर या व्यंजन) निकट आने पर मिलते हैं तो उनके मेल से उत्पन्न होने वाले शब्द-विकार को संधि कहते हैं। यह संधि स्वर, व्यंजन और अव्ययों में होती है। प्राकृत में संधि की व्यवस्था नित्य नहीं है, वह विकल्प से होती है। (क)स्वर संधि अत्यन्त निकट दो स्वरों के मिलने से जो उनमें मिलाप होकर विकास उत्पन्न होता है उसे स्वर-संधि कहते हैं। इस स्वर संधि के प्राकृत में निम्न रूप देखने को मिलते हैं - (1) दीर्घ, (2) गुण (3) विकृतवृद्धि (4) हस्व-दीर्ध (5) प्रकृतिभाव या संधि-निषेध एवं (6) मिलित शब्द। इनके प्रमुख उदाहरण प्रस्तुत हैं(क) लोय + अलोय
लोयालोयं लोय + आयासो
लोयायासो आदेसो
सुद्धादेसो अजीवा
जीवाजीवा (ख) मुणि + इसरो
मुणीसरो (ग) साहु + उवज्झाओ = साहूवज्झाओ 2.गुण संधिः अ या आ वर्ण के बाद यदि इ, ई, उ,ऊ वर्ण हों तो पूर्व एवं पर दोनों स्वरों के स्थान में एक गुण स्वर का आदेश होता है उसे गुण संधि कहते हैं। यथा - (क) ण + इच्छेद = णेच्छदे
___ जीवस्स + एवं = जीवस्सेवं (ख) खर + उदयं = खीरोदयं
जिण + उवदेसे = जिणोवदेसे 3.विकृत वृद्धि संधि ___प्राकृत में मूल स्वर ए और ओ से पहले यदि अ और आ स्वर हों तो उन अ एवं आ स्वर का लोप हो जाता है और दोनों शब्द मिलकर संधि हो जाती है, जिसे विकृत वृद्धि कहते हैं । यथा
जीव
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2000 प्राकृत रत्नाकर