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प्रभाव है तथा विभक्ति-लोप के साथ परसर्गों का प्रयोग अपभ्रंश के प्रभाव से इसमें आया है। षष्ठी विभक्ति में भोजपुरी में जो परसंग जोड़े जाते हैं, वे प्राकृत के हैं। यथा- उनकरा काम भी करत अइव।
तो काम से हमरा अलग रहिता। यहाँ करा और हमरा क्रमशः प्राकृत की कर धातु और अम्हारा आदि शब्दों से आये प्रतीत होते हैं। भोजपुरी के सर्वनामों का प्राकृत से सीधा सम्बन्ध है। वैकल्पिक रूपों का पाया जाना प्राकृत की ही प्रवत्ति है। कुछ सर्वनाम दृष्टव्य हैं
प्रा. - मए तु तुम्ह तुम्हाण अप्पाणं । भो. - मयं तु तहें तोहनी अपने।
भोजपुरी भाषा की क्रियाओं में भी प्राकृत के तत्त्व उपलब्ध हैं। अधिकांश धातुओं का मूल प्राकृत धातुएं हैं। यथा- कूटे > कुट्ट, काढ > कड्ढ, चक् > चुक्क, डूब > डुब्ब, सीडापा > सिज्झ आदि। भोजपुरी में प्राकृत के समान ही वर्तमान, भूत, भविष्यत्, आज्ञाविधि और संभावना ये पांच काल होते हैं। भोजपुरी की क्रियाएं प्राकृत की भाँति ही सरल हैं। प्राकृत के अनेक शब्द भोजपुरी में स्वीकार कर लिये गये हैं। कुछ शब्द प्राकृत के प्रत्ययों को जोड़कर बनाये गये हैं तथ कुछ शब्द सीधे ले लिए गये हैं। यथा
भोजपुरी अर्थ प्राकृत का प्रत्यय इनकरा इन करा केर गमइ गम इ इल्ल घरेलु घर एलु आल कहत कह अत अन्त डरावन डर आवन आप्पण करतव कर तव तव्व
प्राकृत और मैथिली - मिथिला के आस-पास के क्षेत्रों में बोली जाने वाली भाषा मैथिली के रूप में प्रसिद्ध हुई है। वर्तमान में साहित्य की दृष्टि से भी यह समृद्ध 2140 प्राकृत रत्नाकर