Book Title: Prakrit Ratnakar
Author(s): Prem Suman Jain
Publisher: Rashtriya Prakrit Adhyayan evam Sanshodhan Samsthan

View full book text
Previous | Next

Page 396
________________ 31. उपांगंसुत्ताणि, जैन विश्वभारती, लाडनूं, 2002 ई.। 32. ऋषभपंचाशिका- काव्यमाला ग्रन्थांक-7, निर्णयसागर प्रेस, बम्बई, 1890ई.। 33. ओघनियुक्ति - 1957 ई. में सूरत से प्रकाशित । एडेल हाइट मेटे द्वारा 1974 ई. में प्रकाशित। 34. औपपातिकसूत्र- मूलपाठ और पाठान्तर सहित, एन.जी.गुरु, पूना, सन् 1936 ई.। जैन विश्वभारती, लाडनूं, 2002 ई.। 35. कंसवहो- रामपाणिवाद, सं.डॉ. ए. एन् उपाध्ये, हिन्दी ग्रन्थस्नाकर कार्यालय हीराबाग, बम्बई, सन् 1946 ई.। 36. कम्मथव (कर्मस्तव-कर्मग्रन्थ-2)- हिन्दी अनुवाद सहित, आगरा सन् ___ 1918 ई.। 37. कम्मपयडी (कर्मप्रकृति)- विशशर्मा, मलयगिरि और यशोविजय टीका सहित, जैनधर्म प्रचारकसभा, भावनगर। 38. कम्मविपाग (कर्म-विपाक-कर्मग्रन्थ-1)-सं. श्री पं. सुखलालजी, लोहामण्डी, आगरा, सन् 1939 ई.। 39. करलक्खण- भारतीय ज्ञानपीठ, काशी, 1954 ई.। 40. कल्पसूत्र-सं. अमोलकऋषि, सर राजाज्वालाप्रसाद, हैदराबाद।हिन्दी-गुजराती अनुवाद सहित राजकोट से प्रकाशित, 1958 ई.। 41. कल्पव्यवहरि (निशीथसूत्र)- सं. वाल्टर शूविंग, लाइपचिंग तथा अहमदाबाद। 42. कसायपाहुड(जयधवला टीकासहित)-सं.पं.फूलचन्द्र औरपं.कैलाशचन्द्रशास्त्री, दि. ____ जैनसंघ चौरासी, मथुरा, सन् 1944-62 ई.। 43. कसायपाहुण (सूत्र और चूर्णि) सं.पं. हीरालाल सिद्धान्तशास्त्री, वीरशासनसंघ, कलकत्ता, सन् 1955 ई.। 44. कहाकोसपगरण (कथाकोषप्रकरण,- जिनेश्वर सूरि, सं. मुनि जिनविजय, सिंघो जैन ग्रन्थमाला, भारतीय विद्याभवन, बम्बई, सन् 1949 ई.।) 45. कहामहोदधि- सोमचन्द्र, कर्पूर प्रकरण सहित, ही.हं. जामनगर, सन् 1913ई.। 46. कहारयणकोस- देवभद्र,सं.मुनि पुण्यविजय,आत्मानन्दसभा भावनगर, सन् 1944ई.। 388 0 प्राकृत रत्नाकर

Loading...

Page Navigation
1 ... 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413 414 415 416 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428 429 430