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कटनी, वाराणसी, वैशाली एवं बोधगया में संस्कृत, पालि, प्राकृत, जैन धर्म तथा भारतीय संस्कृति का शिक्षण एवं विशेष अध्ययन। कुवलयमालाकहा का सांस्कृतिक अध्ययन विषय पर पीएच.डी.। अब तक 60 पुस्तकों का लेखन, सम्पादन एवं लगभग 170 शोधपत्र भी प्रकाशित। सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर के जैनविद्या एवं प्राकृत विभाग के प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष पद से सेवा-निवृत्त। देश-विदेश के विभिन्न सम्मेलनों में शोधपत्र-वाचन। यू.जी.सी. द्वारा सुखाड़िया विश्वविद्यालय उदयपुर में स्थापित बौद्ध अध्ययन एवं अहिंसा केन्द्र के मानद निदेशक के उपरान्त एमेरिटस प्रोफेसर फैलो के रूप में शोधकार्य सम्पन्न।बाहुबली प्राकृत विद्यापीठ श्रवणबेलगोला में निदेशक पद से सेवा निवृत्त। विभिन्न प्रतिष्ठित पुरस्कारों के साथ 2006 में राष्ट्रपति पालि-प्राकृत प्रशस्ति से भी सम्मानित। सम्प्रति प्राकृत, अपभ्रंश की पाण्डुलिपियों के सम्पादन-कार्य में संलग्न।
29, विद्या विहार कॉलोनी उत्तरी सुन्दरवास, उदयपुर -313001