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2. शब्द रूपों में समानता
प्राकृत के कारकों की कमी तथा उनका आपस में प्रयोग प्रायः देखा जाता है। वैदिक भाषा में भी यह प्रवृत्ति उपलब्ध है। नाम रूपों में प्रयुक्त कई प्रत्यय दोनों भाषाओं में समान हैं। दोनों में कुछ शब्द विभक्ति रहित भी प्रयुक्त होते हैं। वैदिक भाषा में प्राकृत की तरह द्विवचन के स्थान पर बहुवचन का प्रयोग भी पाया जाता है। कुछ समान शब्द और सर्वनाम आदि इस प्रकार हैं
वैदिक भाषा अर्थ प्राकृत (क) समान शब्द रायो
राजा रायो छाग
बकरा छाग जाया
पत्नि जाया पिप्पलं
पीपल पिप्पलं
पवित्र पू/पूदं (ख) समान सर्वनाम
वह सो वे ते मैं
अहं हम मो मेरे लिए मुझ में मयि तुम तुवं तुमको
न
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ME FEET
अर्थ
प्राकृत इह
यहाँ
(ग) समान अव्यय वैदिक भाषा
इह णही णमो
नहीं
णहि
नमस्कार
कया
कब
कया
प्राकृत रत्नाकर 0329