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प्राकृत
भाषा है। इसका विकास भी मागधी अपभ्रंश से हुआ है। भोजपुरी की भाँति मैथिली में भी प्राकृत का स्पष्ट प्रभाव है। यह संस्कृत से भी प्रभावित है। मैथिली के स्वर और व्यंजनों के कुछ उदाहरण यहाँ प्रस्तुत हैं, जिनमें प्राकृत की विशेषताएँ स्पष्ट हैं। संस्कृत
मैथिली कत्यगृह
कच्चहरिअ कचहरी कर्दम
कदम कादों श्रृणोति
सुणइ सुन्तव द्रक्ष्यति
देवखति
देखव लोहकार
लोहाल लौहार शेवाल
सेवाल सेमर
• प्राकृत और उड़िया - उड़िया प्राचीन उत्कल अथवा वर्तमान उड़ीसा की भाषा है। बंगला से इसका घनिष्ट संबंध है। विद्वानों का मत है कि लगभग 14वीं शताब्दी में यह बंगला से पृथक हो गई होगी। मागधी अपभ्रंश की पूर्वी शाखा से उड़िया व बंगला का विकास हुआ माना जाता है। उड़िया में भी प्राकृत की सामन्य प्रवत्तियाँ उपलब्ध होती हैं। यथा
(1) ऋकार का इ में परिवर्तन श्रृगाल > सिआल सिआल, हृदय > हिअअ हिआ (2) ऐ का ए में परिवर्तनवैद्य > वेज, वेज, तैल > तैल्लं, तेल (1) दीर्घ स्वरों का प्रयोग -
भक्त > भत्त, हस्त > हत्थ हाथ
(1) ख, घ, थ, घ, फ, भ, का ह में परिवर्तन
संस्कृत प्राकृत उड़िया मुख मुह मुह
प्राकृत रत्नाकर 0215