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पश्चसंग्रह
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वेदके भेद और वेद-वैषम्यका निरूपण भाववेद और द्रव्यवेदका कारण वेद-वैषम्यका कारण स्त्रीवेदका स्वरूप पुरुषवेदका स्वरूप नपुंसकवेद , अपगतवेदी जीव कषाय मार्गणा, कषायका स्वरूप कषायोंके भेद और उनके कार्य क्रोध कषायकी जातियाँ और उनका फल मान कषायकी , माया कषायकी ,, लोभ कषायकी , चारों जातिकी कषायोंके कार्य अकषायिक जीवोंका स्वरूप ज्ञानमार्गणा, ज्ञानका स्वरूप मत्यज्ञानका स्वरूप श्रुताज्ञान विभंगज्ञान , मतिज्ञान श्रुतज्ञान , अवधिज्ञान , अवधिज्ञानके भेद मनःपर्ययज्ञानका स्वरूप केवलज्ञान संयममार्गणा, द्रव्यसंयमका स्वरूप भावसंयमका स्वरूप सामायिक संयम ,, छेदोपस्थापना , परिहारविशुद्धि , सूक्ष्मसाम्पराय , यथाख्यात संयमासंयम , संयमासंयमका विशेष स्वरूप देशविरतके भेद असंयमका स्वरूप दर्शनमार्गणा, दर्शनका स्वरूप चक्षुदर्शनका अवधिदर्शन
२२ केवल दर्शन
लेश्यामार्गणा, लेश्याका स्वरूप
लेश्याके स्वरूपका दृष्टान्त-द्वारा स्पष्टीकरण २३ कृष्णलेश्याका लक्षण २३ नोललेश्या " २३ कापोतलेश्या २३ तेजोलेश्या २३ पद्मलेश्या २४ शुक्ललेश्या , २४ अलेश्यजीवोंका स्वरूप
भव्यमार्गणा, भव्यका स्वरूप २४ भव्य और अभव्य जीवोंका विशेष निरूपण
भव्यत्व और अभव्यत्वसे रहित जीवोंका वर्णन सम्यक्त्वमार्गणा, सम्यक्त्वप्राप्तिकी योग्यता ३४ सम्यक्त्वका स्वरूप
३४ २५ क्षायिकसम्यक्त्व,
३४ २५ वेदकसम्यक्त्व ,
उपशमसम्यक्त्व, तीनों सम्यक्त्वोंका गुणस्थानोंमें विभाजन सासादनसम्यक्त्वका स्वरूप सम्यग्मिथ्यात्व मिथ्यात्व
उपशमसम्यक्त्वकी उत्पत्तिमें सर्वोपशम और २७ देशोपशमका नियम २७ सम्यक्त्वकी उत्पत्तिके पश्चात् मिथ्यात्व
प्राप्तिका नियम संज्ञिमार्गणा, संज्ञी और असंज्ञीका सामान्य स्वरूप ३६ संज्ञी असंज्ञीका विशेष स्वरूप आहारमार्गणा, आहारकका स्वरूप आहारक और अनाहारक जीवोंका विभाजन उपयोग प्ररूपणा, उपयोगका स्वरूप और भेद साकार उपयोग अनाकार उपयोग
युगपद् उभयोपयोगी जीवोंके कालका निरूपण २९ जीवसमास अधिकारका उपसंहार २९ छहों लेश्याओंके वर्ण
नरकोंमें लेश्याओंका निरूपण ३० तिर्यञ्च और मनुष्योंमें ,,
गुणस्थानोंमें
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