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मुहूर्तराज]
किसी भी साहित्य को लिखने का श्रम व समय होता है और लेखन कार्य सम्पन्न हो जाता है तब प्रश्न खड़ा हो जाता है कि इसको प्रकाशित करवाया जाय । सर्व प्रथम मैंने आहोर (राजस्थान) निवासी परम गुरुभक्त सरल हृदयी श्री मूथा शान्तिलालजी वक्तावरमलजी से बात की उन्होंने उसी समय आहोर में वर्षों से साहित्य प्रकाशन कर रही संस्था श्री भूपेन्द्र सूरि साहित्य समिति जिसके श्री मूथाजी मंत्री है। ३०० पुस्तक के द्रव्य व्यय की स्वीकृति दी। पश्चात आहोर के ही गुरुभक्त श्री पुखराजजी भगवानजी एवं श्री हीराचन्दजी भगवानजी ने भी सर्वोच्च सहयोग की स्वीकृति दी और अन्य दानदाताओं में आहोर के ही संघवी लादमल दुलीचन्दजी चमनाजी, श्री सोहनराजजी की धर्मपत्नी श्री गजराबाई हस्ते सुपुत्री अ.सौ. पानीबाई धर्मपत्नि बाबुलालजी दयालपुरा। श्री भंवरलाल सुरेशकुमार कोवुर मारवाड़ में आहोर । अप्सरा फाईन आर्ट्स के संचालक श्री मुरलीधरजी माहेश्वरी द्वारा पुस्तक का सुन्दर मुद्रण किया जिसके लिए में उनको साधुवाद देता हूँ।
इस प्रकार उपरोक्त सभी दानदाता एवं अप्सरा फाईन आर्ट्स संचालक श्री मुरलीधरजी माहेश्वरी के श्रम से यह कार्य सुन्दर रूप में तैयार हो पाया एतदर्थ धन्यवाद सह आभार ।
श्री मोहनखेड़ा जैन महातीर्थ २०४२ माघ शुक्ला ४ जिला - धार (मध्यप्रदेश)
अनि ना५ मन
माहा
ज्योतिषाचार्य मुनि जयप्रभविजय “श्रमण"
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