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पुरावशेष तथा बहमूल्य कलाकृति अधिनियम :
भारत सरकार द्वारा 5 अप्रेल 76 से पुरावशेष तथा बहुमूल्य कलाकृति अधिनियम को लागू करने के फलस्वरूप यह प्रावश्यक हो गया कि जिन व्यक्तियों के अधिकार व कब्जे में मूर्तियाँ, पेन्टिग्स, एन्नविग्स अधिनियम में उल्लेखित सामग्री हो वे उनका पंजीयन करावें । राजस्थान के विभिन्न ग्रामों व कस्बों के मन्दिरों के सम्बन्धित महानुभावों को इसकी जानकारी हेतु सभा द्वारा पत्र भिजवाये गये तथा उनसे निवेदन किया गया कि वे सम्बन्धित अधिकारियों को उक्त नियमों के प्राव. धानों को मन्दिर पर लागू न करने के लिये तार भेजें । सभा ने इस सम्बन्ध में भारत सरकार से प्रावश्यक पत्र व्यवहार किया। आवेदन पत्रों के फार्म भी मुद्रित करा कर उपलब्ध कराये गये व वांछित जानकारी समाज को समय-समय पर दी गई।
अमेरिकी जैन अतिथियों का अभिनन्दन :
अमेरिकी जैन अतिथियों के 14 दिसम्बर 76 को जयपुर आगमन पर उनका अभिनन्दन किया गया तथा उन्हें स्मृति के रूप में एक 'विजय स्तम्भ' तथा स्मारिका की प्रतियाँ भेंट की गई।
साहित्य प्रसार :
स्व. पं० चैनसुखदासजी न्यायतीर्थ की प्रेरणा से सभा ने सन् 1962 से भगवान महावीर की पावन जयन्ती के अवसर पर एक स्मारिका का प्रकाशन प्रारम्भ किया और वह सभा का एक नियमित प्रकाशन बन गया। इसमें जैन दर्शन, इतिहास, संस्कृति और साहित्य पर अधिकृत विद्वानों के गवेषणापूर्ण लेख व कविताएं रहती है । प्रारम्भ में स्मारिका का सम्पादन स्व. पंडित साहब ने स्वयं किया और पं० श्री के स्वर्गवास के पश्चात् इस गुरुतर कार्य का दायित्व श्री भंवरलालजी पोल्याका द्वारा उठाया जा रहा है ।
इसके अतिरिक्त समय समय पर लघु पुस्तकों के प्रकाशन का कार्य भी सभा ने किया जिसमें 108 मुनि श्री विद्यानन्दजी एवं डा० हुक्मचन्दजी भारिल्ल द्वारा लिखित पुस्तकों का एवं भजनावाली प्रादि का प्रकाशन विशेष उल्लेखनीय हैं।
सामाजिक गतिविधियां :
जैन सभा की गतिविधियाँ केवल समारोह प्रायोजन एवं साहित्य प्रचार तक ही सीमित नहीं है अपितु जब भी सामाजिक क्षेत्र में कोई समस्या उत्पन्न हुई सभा ने आगे प्राकर यथासम्भव समाधान करने का प्रयत्न किया है। राजस्थान विधानसभा में प्रस्तत नग्न विरोधी बिल को वापिस कराने तथा राजस्थान ट्रस्ट एक्ट में प्रावश्यक सशोधन कराने राज्य सरकार से अनन्त संवत्सरी का ऐच्छिक अवकाश स्वीकृत कराने सांगानेर में जमीन से प्राप्त जैन मूर्तियों को समाज के सुपुर्द कराने तथा प्रायकर में हुये संशोधन से समाज को अवगत कराने जैसे महत्वपूर्ण कार्य किये है।
एवं
समाज में व्याप्त कुरुढ़ियों और कुरीतियों के विरुद्ध भी यह सभा सदैव जागरूक रही है ।
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