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विद्वान् हैं जिनमें लेखक के अतिरिक्त, पं० भंवरलाल कारों में डा० शान्ता भानावत, श्रीमती सुदर्शनादेवी न्यायतीर्थ, पं० मिलापचन्द शास्त्री, पं० भंवरलाल छाबड़ा, श्रीमती सुशीला बाकलीवाल, स्नेहलताजैन पोल्याका जैनदर्शनाचार्य, पं० अनूपचन्द न्यायतीर्थ, कोकिला सेठी, सुश्री कमला जैन के नाम लिये डा० हुकमचन्द भारिल्ल, पं० गुलाबचन्द जैनदर्शना- जा सकते हैं। उदीयमान विद्वानों में सर्व श्री चार्य, पं० सुरज्ञानीचन्द्र न्यायतीर्थ, डा. नरेन्द्र प्रेमचन्द रांवका, प्रेमचन्द जैन, पं० निर्मलकुमार भानावत के नाम उल्लेखनीय हैं। महिला साहित्य- बोहरा के नाम उल्लेखनीय हैं ।
1. ग्रन्थ सूची भाग 4-पृष्ठ संख्या
पृष्ठ संख्या 133
अमृत वचन
प्रतिष्ठा भूषण-लाडलीप्रसाद जैन पापड़ीवाल, सवाई माधोपुर 1. महापुरुषों ने कर्मरूपी योद्धात्रों को संग्राम में ज्ञानरूपी शास्त्र, चारित्र की सेना और दर्शन
के बल से परास्त कर स्वातंत्र्य (मोक्ष) प्राप्त किया । 2. वास्तविक सुख कहीं बाहर नहीं है वह आत्मानुभूति में है । 3. अशांति का मूल है हिंसा और शांति का मूल है अहिंसा । 4. विजयी होने के लिये जितेन्द्रिय बनना होगा। 5. मानव जीवन की सार्थकता इसी में है कि वह कर्मों का संवर मौर निर्जरा करे । 6. राग और द्वेष में राग अधिक अहितकारी है और दोनों के दूर होने से ही वीतरागता
प्रगट होगी। 7. शल्य जहां तक रहती है वहां तक सफलता नहीं मिलती। 8. प्राडम्बर शून्य धर्म कल्याण का मार्ग है। 9. अपने पाप की समालोचना संसार बन्धन से मुक्ति का प्रधान कारण है। 10. अपने आपको अपने में देखो तो निश्चित ही प्रात्म दर्शन होगा।
महावीर जयन्ती स्मारिका 17
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