Book Title: Mahavira Jayanti Smarika 1977
Author(s): Bhanvarlal Polyaka
Publisher: Rajasthan Jain Sabha Jaipur

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Page 255
________________ वि० सं० 1461/1404 ई० की एक दिगम्बर 1. वाशिंगटन की फायर गैलरी। पाण्डुलिपि 'पादिपुराण'-- जिसका उल्लेख डा० 2. 'फर वोलकर कुन्दे' का संग्रहालय, दोषी ने अपने लेख37 में किया है। 1415 ई० बलिन । की 'कल्पसूत्र' 'कालकाचार्यकथा', जिसमें 'कल्प 3. बलिन की रायल लायब्ररी । सूत्र' वाला भाग कलकत्ता के बिरला संग्रह' में 4. कलकत्ता का 'नाहर संग्रहालय'। . तथा कालकाचार्य' वाला भाग बम्बई में पी० सी० जैन के संग्रह में है .38 1420 ई० में दिगम्बर जैन 5. पाटन और जैसलमेर के अनेक जैन महापुराण' ग्रंथ चित्रित किया जो इस समय पुस्तकालय 148 दिगम्बर जैन नया मन्दिर, पुरानी दिल्ली में स्थित 'कल्पसूत्र' की उक्त सभी पाण्डुलिपियों में है।39 1426 ई० की 'कल्पसूत्र 'कालकाचार्यकथा' उनका रचनाकाल व्यक्त नहीं है किन्तु डा० कुमारनामक पाण्डुलिपि इण्डिया ऑफिस लायब्ररी' स्वामी ने चित्रशैली के आधार पर निश्चित किया लन्दन में स्थित है 140 1439 ई० में सुलतान है कि कुछ पाण्डुलिपियां तो 15वीं शती से पूर्व की महमूद शाह खिलजी के राज्यकाल में रचित 'कल्प- हैं तथा शेष 15वीं शती की हैं 147 सूत्र' की एक प्रति 'माण्डु' से प्राप्त हुई है।41 15वीं व 16वीं शती की कुछ अन्य निम्न 1464 ई० के लगभग चित्रित 'कल्पसूत्र' की प्रति पाण्डुलिपियों का वर्णन कार्ल खण्डेलवाल व श्रीमती 'ब्रिटिश संग्रहालय' लन्दन में संग्रहीत है । इसके 42 सरयू दोषी ने अपने लेख में किया हैअतिरिक्त डा० श्री कस्तरचंदजी कासलीवाल ने 1. 1430 ई०-- भविष्यत कथा' बसवा के शास्त्र भंडार में स्थित 1471 ई० की 2. 1442 ई०--पासनाह चरिउ' चित्रित 'कल्पसूत्र' का उल्लेख किया है । 43 3. 1440-50 ई०--'यशोधर चरित' विविध 4. 14.0-60 ई०--'शान्तिनाह चरिउ' उपरोक्त पाण्डुलिपियों के अतिरिक्त डा० 5. 1454 ई०--'जसहर चरिउ' कुमारस्वामी ने अपने लेख में कुछ अन्य निम्न 6. 1494 ई.---'यशोधर चरित' पाण्डुलिपियों का उल्लेख किया है : 7. 1590 ई०-- यशोधर चरित' 1. 1497 ई० में चित्रित 'कल्पसूत्र' और 8. 1596 ई०--'यशोधर चरित48 पौर 'कालकासूरि कथानकम् ।' विभिन्न विद्वानों एवं कलारसिकों द्वारा खोजी 2. लगभग 15वीं शती में चित्रित 'कल्पसूत्र' गई उक्त पाण्डुलिपियों के अतिरिक्त साम्प्रतिक व 'कालकाचार्यकथा' नामक पाण्डुलिपि जिसका शोध के फलस्वरूप यू० पी० शाह द्वारा पाण्डुरचनाकाल मज्ञात है। लिपियों का निम्न बहुभाग प्रकाश में लाया गया । .1. 1400 ई०--माण्डु शैली में चित्रित 3. 1566 ई० में चित्रित 'रतनसार' 144 __कालकाचार्य कथा इसके अतिरिक्त डा० कुमारस्वामी ने हटमैन के लेख45 के माधार पर भी फाइन आर्ट (ललित 2. 1420 ई०-- शत्रुजय महात्म्य' कला) के निम्न संग्रहालयों व पुस्तकालयों में स्थित 3. 1422-23 ई०--मेवाड़ में चित्रित 'सुपा'कल्पसूत्र' की 15वीं शती की पाण्डुलिपियों का सनाहचरिउ' उल्लेख किया है : 4. 1425-1440 ई० 'दमयन्ती कथा चम्पू' 2-88 महावीर जयन्ती स्मारिका 77 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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