Book Title: Mahavira Jayanti Smarika 1977
Author(s): Bhanvarlal Polyaka
Publisher: Rajasthan Jain Sabha Jaipur

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Page 293
________________ निग्रंथ रचयिता-कन्हैयालाल सेठिया प्रकाशक-भीलवाड़ा संस्कृति संसद, भीलवाड़ा (राजस्थान) मुद्रक-- मातादीन ढंढारिया, नेशनल प्रिंट क्राफ्ट्स, ६५ ए, चितरंजन एवेन्यू कलकत्ता-१२ सेठियाजी वस्तुतः शब्दों के सेठ हैं । प्रस्तुत पुस्तक में सेठियाजी ने धार्मिक, दार्शनिक, सांसारिक जगत से सम्बन्धित एक-एक शब्द को लेकर जो रचनायें दी हैं- वे वस्तुतः एक-एक हीरा हैं । गागर में सागर है । छोटे छोटे सूत्रों में जीवन व जगत का गहन रहस्य उद्घाटित हुआ है। पुस्तक में कागज का अपव्यय जरूर हुआ है। छपाई सुन्दर है किन्तु मात्र ८२ पेज को पुस्तक का मूल्य १०) रु० बहुत अधिक है। तीर्थंकर निर्वाण चयनिका विशेषांक, दिसम्बर १६७६ संपादक- डॉ. नेमीचन्द जैन प्रकाशक-हीरा भैया प्रकाशन, ६५, पत्रकार कॉलोनी, इन्दौर मूल्य ५) रुपये प्राकार- १८x२२/८ - इस विशेषांक में जैन जगत के शीर्षस्थ विद्वानों की धार्मिक एवं सामाजिक सारगभित संक्षिप्त रचनायें तो हैं ही साथ ही निर्वाणोत्सव वर्ष में सम्पूर्ण भारत में प्रकाशित जैन साहित्य का भी यह दिग्दर्शन कराता है तथा निर्वाणोत्सव वर्ष की उपलब्धियों का लेखाजोखा कतिपय लेखकों द्वारा बड़े निष्पक्ष दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया गया है। 3-24 महावीर जयन्ती स्मारिका 77 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org www.jainelibrary.org

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