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विश्व के दर्शनों को मोटे रूप से वो भागों में बांटा जा सकता है1. ईश्वरवादी और 2. श्रनीश्वरवादी । जैन और बौद्ध इस अर्थ में अनीश्वरवादी हैं कि वे इस विश्व का कोई कर्ता धर्ता एवं मानवों को उनके अच्छे बुरे कर्मों के शुभाशुभ फलों का देने वाला कोई ईश्वर नहीं मानते। वे मानव की श्रम शक्ति पर विश्वास करते हैं। जीव जैसा कर्म करता है उसको वैसा ही फल स्वतः मिलता है इसीलिए इनकी संस्कृति श्रम पर प्राधूत होने से श्रमण संस्कृति कहलाती है जिसका अर्थ है सब पर सम भाव रखने वाला परिश्रमशील तथा तपस्वी आदि । दूसरी धारा वैदिक है जो ईश्वरवादी है । लेखक के अनुसार दोनों धाराएं एक दूसरे को विरोधी न होकर परस्पर सहयोगी एवं एक दूसरे की पूरक हैं।
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श्रम साधना और श्रमण संस्कृति
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भारतीय संस्कृति की संरचना में दो घटकों का महत्वपूर्ण योगदान है । वे हैं (1) ब्राह्मण संस्कृति, ( 2 ) श्रमण संस्कृति । ब्राह्मण संस्कृति
सीधा सम्बन्ध वैदिक साहित्य से माना जाता है जिसमें याज्ञिक कार्यों का उल्लेख किया गया है । इस संस्कृति के प्रस्तोता के रूप में वैदिक ऋषियों का उल्लेख मिलता है जबकि दूसरे घटक के पुरस्कर्ता के रूप में चौबीस तीर्थंकरों का नाम लिया जाता है । श्रमण संस्कृति को वर्तमान रूप देने का श्रेय अन्तिम तीर्थंकर भगवान् महावीर को है । इन दोनों चिन्तन धाराम्रों ने यद्यपि भारतीय संस्कृति को सजाया संवारा, और निखारा है किन्तु कुछ विद्वज्जन इन दोनों विचार सरणियों को एक दूसरे का सहयोगी मानने में न केवल संकोच करते हैं अपितु एक दूसरे को परस्पर विरोधी विचारधारा वाली संस्कृति के रूप में प्रति
महावीर जयन्ती स्मारिका 77
* डा० कृपाशंकर व्यास, शाजापुर (म. प्र. )
पादित करने में अपनी अहंमन्यता मानते हैं । यह है भारतीय भूमि में फलित दो संस्कृतियों का परिणाम । किन्तु यह शुभ संकेत है कि अनेक प्रनुसंधित्सुत्रों ने यह सिद्ध करने का प्रशंसनीय कार्य किया है कि दोनों चिन्तन धारायें एक दूसरे की विरोधी नहीं अपितु सहयोगी एवं पूरक हैं और दोनों ने भारतीय संस्कृति के उदात्त महनीय, श्रनुकरणीय रूप को विकसित किया है जिसका प्रतिफल है कि श्राज भी विदेशी भारतीय संस्कृति के समक्ष श्रद्धावनत हैं ।
व्याकरण सम्मत अर्थ
श्रमण संस्कृति ने भारतीय संस्कृति के उन्नयन में कितना बहु प्रायामी एवं बहु-सोपानी योगदान दिया है इसको स्पष्ट करने के लिये श्रावश्यक है। कि "भ्रमण " शब्द का व्याकरण सम्मत विवेचन
प्र० सम्पादक
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