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[१४] ४४०८४) स्त्रियोंके उपयोगी अथवा और कोई उपयोगी
संस्था इन्दौरमें खोलनेके लिये । । अन्तमें हमारी भावना है कि हमारे भारतवर्षकी पृज्य - माताएं आपका अनुकरण करेंगी और इसी तरह विद्याका प्रमार · कर भारतकी उन्नति करेंगी।
अन्तमें श्री जिनेन्द्र देवसे प्रार्थना है कि आपके आत्माकी • सद्गति हो और आपके चि० रा. व० संठ कल्याणमलजी आपके
आदेशानुसार धर्मकी उन्नति करते हुए बहुत दिन तक. सुखसे रहें । इति शम् ।
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