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होता गया । अंतमें वैसाख यदि ६ सं० १९७४ को शामके समय सत्रको शोकसागर में डालकर आप स्वर्गवामिनी हुई।
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अंतमें उक्त सेठ साहबने आपके नामसे एक अच्छी धर्मशाला बना देनेका निवेदन किया था और आपने यह बात स्वीकार भी करली थी | यह काम योग्य जगह आदि सब सुभीतोंके मिल जानेपर किया जानेवाला है । इन सब कामंक मिवाय आप अंतिम समय में ६१०००) की बड़ी रकम दान कर गई हैं और उसको नीचे लिखे अनुसार बांट गई हैं:
१००००) तुकोगंजक मंदिरके ध्रुवफंडमें
. १०२२) इंदौर, उज्जैन, विजलपुर आदिके मंदिरोंमें १०१) सिद्धांत विद्यालय, मोरेना
१०१) स्याहाद महाविद्यालय, बनारस
१०१) महाविद्यालय, मथुरा
५१) ब्रह्मचर्याश्रम, हस्तनापुर
१०१) कंचनवाई श्राविकाश्रम, इंदौर ( दो वर्ष में कपड़ा
आदि देना )
६२१) शिखरजी, गिरनार, बड़वानी आदि तीर्थोंमें १०१) बम्बईके मंदिर में उपकरण
२००) मालवा प्रांतके मंदिरांमें
.५०० ) शास्त्रदान वा कोई ग्रन्थ वांटनेके लिये १०१) समाचार पत्रोंकी सहायतार्थ
३९१३) सम्बन्धियोंको