Book Title: Mahavira Charitra
Author(s): Khubchand Shastri
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 14
________________ [१२] बहुत और आदर्श प्रम था, जबतक वे रहीं तबतक सेठ कल्याणमलजीके सब खाने पीने आदिका प्रबंध वे स्वयं करती थीं। सेठ कल्याणमलनी भी उनपर बहुत प्रेम करते थे, प्रत्येक काममें उनकी आज्ञा लेते थे और उनकी आज्ञाके प्रतिकूल कोई भी काम नहीं करते थे। इसके सिवाय रा०व० सेठ सर हुकमचंदनी तथा.रा०प० सेठ कस्तूरचंदनी पर भी उनका बहुत प्रेम था और ये लोग भी बड़ी आदरकी दृष्टिसे उन्हें देखते थे तथा प्रत्येक घरू काममें उनको सलाह लेते थे। - आपके जीवनमें सबसे बड़ी बात यह है कि जबमे आपके 'पति सेठ तिलोकचंदजीका स्वर्गवास हुआ तभीसे आपकी यह इच्छा थी कि पूज्य पतिके स्मारकमें कोई अच्छी चीज बनाई नाय, निसके लिये आप बार बार प्रेरणा करती थीं। अंतमें उनकी राय व खास प्रेरणासे ही सेठ कल्याणमलनीने अपने पूज्य पिता मेठ तिलोकचंदनीके स्मारकमें तीन लाख रुपये लगा कर तिलोकचंद नैन हाईस्कूल इंदौरमें खोल दिया है, जो इलाहाबाद यूनीवर्सिटीमे रिकग्नाइज़ होकर हाईस्कूल हो गया है। ... इधर सं० १९७३से आपका स्वास्थ्य खराब हुआ था। इंदौरके • तथा बम्बईके प्रसिद्ध प्रसिद्ध वैद्य और डाक्टरों का महीनों इलान · कराया गया। यहांके महाराजाधिराजके खास डाक्टरका भी इलान • कराया परंतु सफलता कुछ हुई नहीं तथा शरीर बराबर क्षीण

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