________________ संस्थान का परिचय जिस संस्थान द्वारा इस ग्रंथ का प्रकाशन हो रहा है उसकी संक्षिप्त जानकारी पाठकों को देना मैं आवश्यक समझता हूँ। संस्थान का जन्म___ पू० गणिनी आर्यिकाशिरोमणि श्री ज्ञानमती माताजी की प्रेरणा से दिगंबर जैन त्रिलोक शोध संस्थान का जन्म सन् 1972 में हुआ। इस संस्थान का रिजस्ट्रेशन दिल्ली सोसायटी एक्ट के अन्तर्गत सन् 1972 में ही करा लिया गया। संस्थान की कार्यकारिणी संस्थान के नियमानुसार प्रत्येक तीन वर्ष में संस्थान की कार्यकारिणी का गठन किया जाता है। डा० कैलाशचन्द्र जैन (राजा टायज) निवासी दिल्ली इस संस्थान के सर्वप्रथम 1972 में अध्यक्ष मनोनीत किये गये थे। महामंत्री श्री वैद्य शांतिप्रसाद जैन (दिल्ली), कोषाध्यक्ष ब्र० श्री मोतीचंद जैन, मंत्री श्री कैलाशचंद जैन (करोल बाग) नई दिल्ली एवं उपमंत्री ब्र० श्री रवीन्द्र कुमार जैन आदि पदाधिकारी मनोनीत किये गये थे। उसके बाद संस्थान के अध्यक्ष पद पर श्री मदनलाल जी चांदवाड़ रामगंज मंडी - (राज) 6 वर्ष तक रहे, पश्चात् 6 वर्ष तक श्री अमरचंद जी पहाड़िया (कलकत्ता) संस्थान के अध्यक्ष पद पर रहे। महामंत्री स्व० श्री कैलाशचंद जैन (खद्दर वाले) सरधना (उ० प्र०) तथा उनके बाद श्री गणेशीलाल जी रानीवाला (कोटा) राज० को महामंत्री पद पर मनोनीत किया गया। वर्तमान (1991) त्रिवर्षीय कार्यकारिणी में लगभग 91 सदस्य सारे भारतवर्ष के मनोनीत हैं, जिसमें साहू श्री अशोक कुमार जैन, दिल्ली श्री अमरचंद जी पहाड़िया, कलकत्ता व श्री निर्मल कुमार जी सेठी लखनऊ संरक्षक पद पर, ब्र० श्री रवीन्द्र कुमार जैन अध्यक्ष, श्री गणेशीलाल रानीवाला, श्री जिनेन्द्रप्रसाद जैन ठेकेदार, दिल्ली-महामंत्री, श्री अमरचंद जैन, होम ब्रेड, मेरठ-मंत्री तथा श्री कैलाशचंद जैन (करोल बाग) नई दिल्ली-कोषाध्यक्ष पद पर मनोनीत हैं। इसके अतिरिक्त अनेक गणमान्य महानुभाव संस्थान के उपाध्यक्ष एवं अन्य पदों पर पदासीन हैं। .हिसाब एवं धन की व्यवस्था___ संस्थान का आय-व्यय प्रतिवर्ष आडीटर से आडिट कराया जाता है एवं कार्यकारिणी की बैठक में हिसाब पास किया जाता है। धन के सम्बन्ध में संस्थान की सम्पूर्ण आय रसीद अथवा कूपन से प्राप्त होती है तथा स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया, हस्तिनापुर, न्यू बैंक ऑफ इण्डिया हस्तिनापुर एवं बैंक आफॅ बड़ौदा, दिल्ली में संस्थान के नाम से खाते हैं जिसका संचालन संस्थान के अध्यक्ष, कोषाध्यक्ष एवं मंत्री उपर्युक्त तीन में से किन्हीं दो हस्ताक्षरों से होता है। निर्माण- सन् 1974 से हस्तिनापुर में निर्माण कार्य प्रारम्भ किया गया। अब तक जम्बूद्वीप स्थल पर जम्बूद्वीप की रचना के निर्माण के साथ ही यात्रियों , शोधार्थियों एवं पर्यटकों के लिये लगभग 200 कमरे व फ्लेट बन चुके हैं। तीन मूर्ति मंदिर का निर्माण हुआ है, जिसमें तीन वेदियां हैं। मुख्य वेदी में भगवान आदिनाथ, भरत व बाहुबली की मूर्तियाँ विराजमान हैं तथा अगल-बगल की वेदी में भगवान् पार्श्वनाथ, भगवान् नेमिनाथ की प्रतिमा विराजमान हैं। भगवान् महावीर स्वामी का नया कमल मंदिर (25)