Book Title: Karmagrantha Part 5 Shatak
Author(s): Devendrasuri, Shreechand Surana, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Marudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur
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३८
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२९७
३१४
विभाग का क्रम
२८९ गाथा ८१
२८६-२६६ मूल कर्मों में विभक्त कर्मदलिकों का उत्तर प्रकृतियों विभाग का क्रम
२८६ गाथा ८२
२६७-३०१ गुणश्रेणियों की संख्या और उनका वर्णन गाथा ८३
३०१-३०६ गुणश्रेणि का स्वरूप
३०२ प्रत्येक गुणश्रेणि में होने वाली निर्जरा का प्रमाण ३०५ गाथा ८४
३८६-३१३ गुणस्थानों के जघन्य और उत्कृष्ट अन्तराल का वर्णन ३०६ गाथा ८५
३१३-३२३ पल्योपम और सागरोपम के भेदों का विवेचन अंगुल के भेदों की व्याख्या
३२१ गाथा ८६, ८७, ८८
३२३-३३३ पुद्गल परावर्त के भेद
३२४ बादर और सूक्ष्म द्रव्य, क्षेत्र, काल और भाव पुद्गल परावर्तों का स्वरूप
३२७ गाथा ८९
३३४-३३६ उत्कृष्ट और जघन्य प्रदेशबंध के स्वामी
३३५ गाथा ६०, ६१, ६२
३३६-३४४ मूल और उत्तर प्रकृतियों की अपेक्षा उत्कृष्ट प्रदेशबंध के स्वामियों का निरूपण
३३७ गाथा ६३
३४४-३४८ मूल और उत्तर प्रकृतियों की अपेक्षा जघन्य प्रदेशबंध के स्वामियों का विवेचन
३४५
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