Book Title: Karmagrantha Part 5 Shatak
Author(s): Devendrasuri, Shreechand Surana, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Marudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur
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३७
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२२७
२३४
तीव्र तथा मन्द अनुभाग बंध के चार-चार विकल्प तथा
उनके होने का कारण गाथा ६५
२३३-२३६ शुभ और अशुभ रस का विशेष स्वरूप गाथा ६६, ६७, ६८
२३६-२४३ सब कर्म प्रकृतियों के उत्कृष्ट अनुभागबंध के स्वामियों का विवेचन
२३७ गाथा ६६, ७०, ७१, ७२, ७३
२४३-२५८ सब कर्म प्रकृतियों के जघन्य अनुभागबंध के स्वामियों का निरूपण
२४४ गाथा ७४
२५८-२६५ मूल और उत्तर प्रकृतियों के अनुभाग बंध के उत्कृष्ट, अनुत्कृष्ट आदि विकल्पों में सादि वगैरह भंगों का विचार
२५६ गाथा ७५, ७६, ७७
२६६-२७८ प्रदेशबंध का स्वरूप
२६७ वर्गणा का लक्षण
२६७ ग्रहणयोग्य और अग्रहणयोग्य वर्गणाओं का स्वरूप २६८
वर्गणाओं की अवगाहना का प्रमाण गाथा ७८, ७६
२७८-२८५ जीव के ग्रहण करने योग्य कर्मदलिकों का स्वरूप ૨98 परमाणु का स्वरूप
२७६ गुरुलघु और अगुरुलघु
२८१ रसाणु का स्वरूप
जीव की कर्मदलिकों को ग्रहण करने की प्रक्रिया गाथा ७६, ८०
२८५-२८६ जीव द्वारा ग्रहीत कर्मदलिकों का मूल कर्मप्रकृतियों में
२७७
२८२
२८४
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