Book Title: Kaise Khole Kismat ke Tale
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

View full book text
Previous | Next

Page 14
________________ बराबर नहीं हआ करते थे। एक लीटर दूध खरीद कर लाना हो तो हज्जत करनी पड़ती थी। तब कहीं जाकर दूध आता था। मेरी माँ कहती थी कि सात देवर-जेठ, सबके इतने सारे बच्चे वे किन-किनके लिए दूध लाएँ? हम सामान्य ग़रीब घर में ज़रूर पैदा हुए, हमारे घर में हम पाँच भाई थे, पाँच भाई अगर एक घर में पैदा हो गए फिर भी रोजी-रोटी के लिए मोहताज़ होना पड़ता है? एक मज़दूर भी अगर मेहनत करेगा तो रोजाना दो सौ रुपये कमाकर लाएगा। हम अगर ऐसे ही निठल्ले बैठे रहे, ऐसे ही अगर माँद में शेर दुबका रहा तो शेर भी भूखा मर जाएगा। कोई कहता है कि मैं क्या करूँ मेरे पास पैसे नहीं हैं, धंधा कैसे शुरू करूँ? अरे भाई! शुरू नहीं करोगे तो धन आएगा कहाँ से! एक युवक कह रहा था कि मेरे तो बचपन में ही पिताजी का देहान्त हो गया। मैं बता देना चाहता हूँ कि ऑस्कर विजेता ए.आर. रहमान के पिता का देहावसान भी बचपन में ही हो गया था। लेकिन अगर आदमी यह सोच लेगा कि मेरा बाप मर गया, मैं क्या कर सकता हूँ तो कुछ बात नहीं बनेगी। भाई अपने भीतर के पितृत्व को जगाओ, सोचो कि बाप मर गया तो क्या हुआ, मैं तो अभी जिंदा हूँ। मैं अपने पुरुषार्थ को जगाऊँगा और ये अंगुलियाँ गिटार और सितार पर भी क्यों न चलानी पड़े मैं इसके जरिये भी ऑस्कर तक पहुँचूँगा। किसी को बड़ी हीन-भावना महसूस होती है। लड़कियाँ ऊँची एड़ी की चप्पल पहनकर अपने आपको लम्बा दिखाने की कोशिश करती हैं। बहनो! अपने नाटेपन के कारण हीनभावना की ग्रंथि अपने भीतर मत आने दीजिए। जिंदगी जिंदादिली का नाम है, मुर्दा-दिल खाक़ जिया करते हैं। स्वयं को बूढ़ा, अपाहिज, मुर्दा-दिल मत बनने दो। हमेशा ऊर्जावान् रहो। जो छोटे कद के हैं, उनसे मैं कहना चाहूँगा कि इस देश का महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर भी छोटे कद का ही है और अगर छोटी उम्र है तो भी चिंता मत कीजिए क्योंकि इस देश की महान टेनिस स्टार सानिया मिर्जा भी छोटी उम्र में ही पूरे विश्व में अपना नाम फैलाने में कामयाब हो गई। जीवन में बस संघर्ष चाहिए, केवल जज़्बा चाहिए क्योंकि रंग-रूप-जाति के कारण कोई व्यक्ति आगे नहीं बढ़ता, आदमी का कर्म और पुरुषार्थ ही आदमी को आगे बढ़ाता है। निरमा वाशिंग पाउडर के मालिक करसन भाई पटेल को मैंने अहमदाबाद की सड़कों पर साइकिल और ठेलागाड़ी पर अपना माल बेचते हुए अपनी आँखों से देखा है, जो 15 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130