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पंप के मालिक ने जैसे ही हिलेरी क्लिंटन को देखा – दोनों लोग मिले, हिलेरी क्लिंटन साईड में चली गई और दोनों आराम से गप्पे-शप्पे करने लगे। हमारे यहाँ हिन्दुस्तान में लोग अविश्वास को ज़्यादा जीते हैं, विश्वास को कम जीते हैं। वहाँ पर लोग विश्वास से ज़्यादा जीते हैं । यहाँ पर तो अगर कोई महिला किसी से बात करने लग जाए तो पति भी सोचने लग जाता है - ऐ क्या बात है? मामला कुछ गड़बड़ है क्या?
हिलेरी क्लिंटन पेट्रोल पंप के मालिक से थोड़ा बतियाने लगी। पन्द्रह-बीस मिनट बात की और जब पता चला कि गाड़ी में पेट्रोल भर गया है तो आ गई कार के पास। बिल क्लिंटन को मज़ाक सूझी। उन्होंने मज़ाक में कहा - यह तो अच्छा है कि तेरी शादी मेरे साथ हो गई तो तू राष्ट्रपति की पत्नी बन गई। अगर इस पेट्रोल पंप के मालिक के साथ होती तो केवल पेट्रोल पंप की मालकिन बनकर ही रह जाती। हिलेरी क्लिंटन ने कहा - सर ! क्षमा करें। सच्चाई तो यह है कि अगर मेरी शादी पेट्रोल पंप के मालिक के साथ हुई होती तो आज अमेरिका का राष्ट्रपति आप नहीं, यह होता। ___ इसे कहते हैं विश्वास, इसे कहते हैं ज़ज़्बा, जीत का जज़्बा, अपने आपका जज़्बा। याद रखिए जीत के लिए एक ही बुनियादी चीज़ चाहिए और वह है जीत का जज्बा। सफलता के लिए एक ही चीज़ चाहिए और वह है सफलता का विश्वास। विश्वास हो तो सफलता तो क्या, भगवान भी मिल सकते हैं। संदेह और डर है जहाँ, विफलता की कहानी है वहाँ । मन से संदेह को, हीन भावनाओं को, डर को निकाल फेंकें। विश्वास रखिए जो चोंच देता है, वो चुग्गा ज़रूर देता है। जो पुरुषार्थ करता है, उसे अपने पुरुषार्थ का परिणाम अवश्य मिलता है। हाँ यह संभव है कि किसी को सफलता पहले चरण में मिलती है तो किसी को दसवें चरण में, पर अगर मन में धुन सवार हो तो इंसान ऐवरेस्ट पर भी ध्वज फहरा सकता है और चन्द्रलोक की भी यात्रा कर सकता है। वैज्ञानिकों ने कोई एक ही दिन में न तो बिजली का आविष्कार किया, न हवाई जहाज का, न मोबाइल का. न टी.वी. का। ऐडीसन ने 9,999 दफ़ा असफलता का सामना किया, पर दस हज़ार वीं दफ़ा में बिजली से जलने वाले बल्बों का आविष्कार करने में सफलता पा ही ली।
आज अगर कोई व्यक्ति किसी पत्थर को तोड़ना चाहे तो ज़रूरी नहीं है कि
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