________________
निकलते ही किसी ने छींक कर दी तो समझ लो यह छींक, छींक नहीं शकुन रूप है, तो उसका छींकना भी किसी मंदिर की घंटी बजने के समान मंगलकारी हो जाएगा। तब कोई छींक दुष्प्रभाव नहीं दिखाती । मैं भी निकलता हूँ, बिल्ली मेरे सामने भी आती है, पर जैसे ही बिल्ली आती है मैं मुस्कुरा देता हूँ, धन्यवाद समर्पण करते हुए कहता हूँ - थैंक्यू । और आगे बढ़ जाता हूँ ।
मैंने कभी भी सामने आती हुई काली बिल्ली को देखकर अपने क़दम वापस नहीं लौटाए। सामने कोई छींक बैठा तो कभी उसका बुरा नहीं माना। कोई छींका तो छींका। वह ग़लती उसकी थी। अपन अपने दिमाग को क्यों प्रभावित करें? मैं तो श्रीप्रभु का नाम लेता हूँ, आगे बढ़ जाता हूँ। जब जीवन ही तुझे समर्पित है तो जीवन में मिलने वाले हर परिणाम भी तुझे ही समर्पित है। अच्छे आएँगे परिणाम तो अच्छे का स्वागत है, बुरा आएगा तो बुरे का स्वागत है । यह तो तय है कि सिक्का उछलेगा तो या तो चित गिरेगा या पट गिरेगा। बिल्ली आएगी तब भी वही बात है, चूहा आ जायेगा तब भी वही बात है और चूहे पर बैठकर गणेश जी आ जायेंगे तब भी वही बात है। उल्लू आ जाये तो मानते हैं अपशकुन हो गया और उल्लू पर लक्ष्मी जी आ जाये तो मानते हैं कि शकुन हो गया। ये सब हमारी अपनी मान्यताएँ हैं। अगर हम अपनी सोच, दृष्टि, समझ को पॉज़िटिव बनाते हैं, तो जीवन का हर पहलू सकारात्मक परिणाम लिए हुए हो जाता है ।
ऐसा हुआ। एक बिटिया पहाड़ी पर चढ़ी चली जा रही थी। उसने अंगोछे को झूला बना लिया । अपने छोटे भाई को उस झूले में डाल दिया और उसे लिये पहाड़ी पर चढ़ने लगी । आराम से चढ़ती चली जा रही थी कि इतने में ही किसी और पथिक ने उसको टोकते हुए कहा लगता है तुम्हारे पास भार कुछ ज़्यादा है। उसने उस पथिक को देखा और ऊपर आँख उठाकर कहा भैया ! माफ कीजियेगा । आपके लिए यह भार होगा, मेरे लिए तो भाई है ।
-
अगर आदमी भार को भार समझेगा तो जिंदगी भार है, पर अगर इंसान जिंदगी को प्रभु का वरदान समझेगा तो जिंदगी भार नहीं, भार को पार उतारने वाला भारत बन जाएगा। सब कुछ इंसान की समझ पर निर्भर करता है । हम लोग अपने जीवन का कैसा परिणाम निकालेंगे, यह हम पर निर्भर करेगा । मैंने कहा जीवन केवल एक बाँस के टुकड़े की तरह है, पर अगर अँगुलियाँ साधनी आ जाएँ, अगर क़दम उठाने आ जाएँ तो संगीत का आनन्द और सुबह की रोशनी
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
33
www.jainelibrary.org