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पैसा नहीं है तो धंधा कैसे करें, अरे भाई ! धंधा करोगे ही नहीं तो पैसा आएगा कहाँ से? नौकरी करोगे तो जिंदगी भर नौकर रहोगे, पर व्यापार करोगे तो आज नहीं कर कल, कल नहीं तो परसों, बॉस बनोगे। तुम्हें किसी को बॉस कहने की ज़रूरत नहीं रहेगी।तुम खुद बॉस बनोगे।
सिंधी लोगों से प्रेरणा लो। सिंधियों के लिए कहावत है : सिंधी कभी भीख नहीं माँगेगा। हिन्दुस्तान का बँटवारा हुआ, तो सिंधी शरणार्थी बनकर हिन्दुस्तान आए। आए तब तो शरणार्थी बने, लेकिन मेहनत करके वे पुरुषार्थी बन गए। ज्योंज्यों जीवन की समझ आ रही है, वे पुरुषार्थी से परमार्थी होते जा रहे हैं। यह शुभ सुकून है। मेंहदी का रंग दस दिन रहता है, पर मेहनत का रंग पूरी जिंदगी को खुशहाल करता है। इसलिए कहता हूँ परिश्रम करो। हर आदमी अमीर बने, गरीबी अभिशाप है। हर आदमी को अमीर बनना चाहिए। अपरिग्रह का धर्म अमीर बनने के बाद धारण कीजिएगा। बेचारे गरीबों को क्या प्रेरणा देते हो अपरिग्रह धारण करने की। उनके पास अभी त्यागने जैसा कुछ नहीं है। पहले महावीर की तरह राजकुमार बनो, बुद्ध की तरह सम्पन्न बनो, उसके बाद अगर त्याग कर संन्यासी भी होना हो तो हो जाना क्योंकि उस त्याग को ही त्याग कहा जा सकेगा। उस त्याग से ही आनंद होगा। हमने त्यागा, किसको त्यागा? वैभव को त्यागा। कुछ था ही नहीं हो क्या त्यागा? 7000 रु. महीना कमाने वाला क्या त्यागेगा? आज अगर आपके यहाँ कोई लॉ इंस्टीट्यूट चलाते हैं, नर्सिंग इंस्टीट्यूट चलाते हैं, कोई फैक्ट्री चलाते हैं, वे अगर कुछ त्याग करें तो वह त्याग कहलाएगा, पर पहले अपन किसी स्तर तक पहुँचें तो सही। पहुँचे ही नहीं उससे पहले त्याग की बात आ गई। हर आदमी सम्पन्न बनें, हर व्यक्ति अमीर बने। नौकरी में संतोष मत करो, कम्पोडरी में तृप्त मत हो जाओ। परिश्रम करो, पढ़ाई करो। कुछ ऐसे बनो कि तुम पर लोग फ़ख़ कर सकें। __ गरीबी अभिशाप है, व्यक्ति के लिए, समाज के लिए, देश के लिए। गरीब आदमी को कोई नहीं पूछता, गली का कुत्ता भी नहीं। न घर में, न बाहर, कहीं नहीं। उसी को पूछा जाएगा जिसके पास अंटी में माल होगा। इसलिए मालदार बनो।अंटी में माल होगा तो लोग पूछेगे। इसलिए ईमानदारी से मेहनत करके माल कमाओ, पहले इज़्ज़त कमाओ। उसके बाद त्याग के पथ पर आयेंगे। इसीलिए तो कहता हूँ कि अगर भगवान हमें रोज़ 24 घंटे देता है तो यह हम लोगों पर निर्भर
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