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भी बचपन है, न जगो तो सतरह की उम्र भी बुढ़ापा है।
अभी-अभी इंदौर में आने के बाद एक खबर पढ़ने को मिली कि एक बुजुर्ग आदमी जिसकी उम्र 70-72 वर्ष की है, उसने विश्व रिकार्ड बनाया है. किस चीज़ का विश्व रिकार्ड? 35 साल से लगातार 10वीं की परीक्षा दे रहा है और आज भी वह दसवीं में फेल हो रहा है। उस डोकरे को, उस बुजुर्ग को एक बार मेरे पास ले आओ। भले ही जो अब तक 35 साल से फेल होता जा रहा है अगर वह आदमी एक बार मेरे पास आ जाए, तो जो 72 वर्ष तक फेल होता रहा, वह 73वें वर्ष में पास हो जाएगा। हाँ, अगर किसी ने यह ठान ही लिया कि उसे तो फेल होने
का विश्व रिकॉर्ड बनाना है तो बात अलग है। ___ 'क' से क़िस्मत होती है, 'क' से ही कर्मफूटा होता है, 'क' से ही करोड़पति होता है और 'क' से ही कृष्ण होता है। सब कुछ 'क' से ही होता है, पर परिणाम जुदा है। 'भ' से भारत भी होता है और 'भ' से भ्रष्टाचार भी होता है। 'र' से राम भी होता है और 'र' से रावण भी होता है। राशि एक है, अक्षर एक है, पर परिणाम अलग-अलग हैं । हम भी अगर अपने टेलेंट को जगा लें तो कोई संगीतकार बन सकता है, कोई शिल्पकार बन सकता है, कोई एम.बी.ए. बन सकता है, कोई चार्टर्ड एकाउंटेंट बन सकता है। अगर टेलेंट को न जगाया तो हममें से ही कोई आदमी डाकू बनेगा, कोई जेबकतरा बनेगा, कोई आतंकवादी बनेगा, कोई उग्रवादी बनेगा।खुद को क्या बनाना है, यह खुद पर ही निर्भर करता है।
केवल अपने टेलेंट को जानने, समझने और उसको किसी पेंसिल की तरह तीखा और नुकीला करने की ज़रूरत भर है। पेंसिल हमें कुछ सिखाती है। पेंसिल के कुछ नियम हैं, कुछ सिद्धांत हैं, कुछ उसूल हैं । जीवन का निर्माण पेंसिल के द्वारा किया जा सकता है। पेंसिल को अगर उपयोगी बनाना है तो सबसे पहला नियम है समर्पण का। समर्पण यानि कि इसको किसी दूसरे के हाथ में सौंपना होगा। जैसे पेंसिल को सौंपा जाता है, इसी तरह हमें भी अपने जीवन को किसी योग्य गुरु को सौंपना होगा। माँ के पेट से केवल बच्चा पैदा होकर आता है। बाकी के लिए तो खुद को ही कुछ-न-कुछ करना पड़ता है। याद रखो - गाय दूध देती नहीं है। गाय से दूध निकालना पड़ता है। जो देती है वह न पीने के काम आता है
और न ही खाने के। जो काम आता है उसे तो निकालना पड़ता है। निकालो तो पीने के काम का होता है।
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