Book Title: Kaise Khole Kismat ke Tale
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 111
________________ स्साला न कहें। क्योंकि गाली देते एक हैं, उलटे गाली अनेक। जो तू गाली दे नहीं, तो रहे एक की एक॥ गाली दोगे तो बदले में गाली लौट कर आयेगी और गाली नहीं दोगे तो गाली वहीं मिट जाएगी। इसलिए गाली नहीं सम्मान की भाषा बोलें। प्रभु ने हमें हाथ दिये हैं, जुबान दी है। अब यह हम पर निर्भर करता है कि हम इनका कैसे उपयोग करते हैं। इन हाथों से हम माला भी फेर सकते हैं और भाला भी चला सकते हैं। इस जुबान से हम गाली भी दे सकते हैं और गीत भी गा सकते हैं। भला जब इस जुबान से सत्य का सम्मान किया जा सकता है तो हम किसी के लिए सत्यानाश की भाषा क्यों बोलें! मीठो-मीठो बोल थारो कांई लागे। हमेशा मीठे मधुर वचन बोलें। मिठास से तो हाथी को भी वश में किया जा सकता है और कड़वाहट से नीम-करेला ही कहलाओगे। ___ बोलने की कला के संदर्भ में अंतिम बात - सातवाँ स्टेप : जो भी मुँह से शब्द बोलो, उस शब्द को मूल्य दो। याद रखना शब्द ही ब्रह्म है, शब्द ही साधना है, शब्द ही पूजा है, शब्द ही प्रार्थना है, शब्द ही धर्म है, शब्द ही मर्यादा है । इसलिए अपने मुँह से कोई भी शब्द बोलो तो अपने शब्द को मूल्य दो और कहे हुए शब्द और लिए हुए संकल्प को हर हालत में निभाओ। इसलिए कहावत है मर जाणा, पर बात रखणी। मर जाना कबूल है, पर हमने जो शब्द मुँह से कह दिया उसकी आन रखना हमारा धर्म है। सोचो वही जो बोला जा सके और बोलो वही जिसके नीचे हस्ताक्षर किए जा सकें।अपनी जुबान को मन में आये वैसे पलटो मत । संत की जुबान एक होती है। सर्प की जुबान दो होती है, रावण की जुबान दस होती है, शेषनाग की जुबान हज़ार होती है लेकिन जो बात-बात में अपनी जुबान पलटता रहता है अभी कुछ कहा, कल कुछ कहा, पता नहीं वह शेषनाग से भी कितना बड़ा नागराज है, जो बात-बात में अपनी जुबान पलटता रहता है। प्राण जाय पर वचन न जाई । हमारे कहे हुए शब्दों को, हमारी कही बात को अगर हम ही मूल्य न देंगे, तो कौन देगा। बात को दिया गया वज़न आदमी को वज़नदार बनाता है। और बगैर वज़न का आदमी दो कोड़ी का होता है। याद रखिए । दाँत कड़क होते हैं इसलिए जल्दी गिर जाते हैं, जीभ नरम होती 112 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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