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अगले दिन सुबह की बात है कि एक बाज उड़ता हुआ जा रहा था, कोई हार चोंच में दबाए। बगल में राजसरोवर में महारानी नहा रही थी। उसने अपने गहने निकाल कर रखे थे, उड़ता हुआ बाज आया, उसने मोतियों का नवलखा हार देखा
और झट से पंजे में पकड़ कर उड़ गया। उधर महारानी को उनका नवलखा हार मिल न पाया। बाज ऊपर से उड़ता हुआ जा रहा था। उसने ब्राह्मण की झोंपड़ी की छत पर मरा हुआ साँप देखा। बाज आहार की तलाश में था। वह नीचे आया, नवलखा हार तो छोड़ गया और साँप अपने साथ लेकर उड़ गया। __ क्या आप समझ गए कि मेहनत कब कौन-सा फल दे देती है? कहानी प्रतीकात्मक है, पर है प्रेरणादायी। कहानी बताती है कि निकम्मे निठल्ले मत बैठे रहो, कुछ-न-कुछ करते रहो। मिट्टी भी खोदोगे तो उसमें भी कमाई कर लोगे। खाखरे का धंधा करोगे तो उससे भी कमाई कर लोगे। घरेलु उद्योगों को महत्त्व दो। अगर लगता है कि आप लाखों नहीं कमा सकते क्योंकि आपके पास धंधा करने के लिए धन नहीं है तो ग़लत सोच रहे हो! घर में चार किलो आटा तो है उससे खाखरे बना लीजिए, और शाम तक बेच डालिए।आप खाखरा बना सकते हैं। घर में मिर्ची, धनिया, हल्दी कूट पीस सकते हैं। छोटे-छोटे कई धंधे हो सकते हैं। आज कोई धंधा आपको छोटा लगता होगा, पर उसे करते-करते आप पैसा कमा लें, तो उसे छोड़ दीजिएगा। तब आप भी एक फैक्ट्री खोल लीजिएगा। जब तक फैक्ट्री खोलने का सामर्थ्य नहीं है, तब तक दुकान खोलो और दुकान खोलने की ताक़त नहीं है तब तक खाखरा बनाने का भी धंधा शुरू कर दो, पर घर में निठल्ले मत बैठे रहो। पापड़ का धंधा आपको छोटा लगता होगा, पर पापड़ के धंधे में ही कोई लज्जत पापड़ के नाम पर अमीर बना हुआ है। साबुन-सर्फ का ठेला चलाकर भी कोई आदमी एक दिन निरमा का मालिक बना हुआ है। जूते-चप्पल में भी कोई बाटा बन सकता है और लोहा-कबाड़ी के काम में कोई टाटा बन सकता है। ऊँचाई पर न पहुँचो तब तक धंधा छोटा है, पहुँच गए तो वही बड़ा बन जाता है। अपने भीतर की सोई हुई चेतना को जगाओ। आज से अपने भीतर इतना ज़ज़्बा तो ज़रूर लगा लो कि यह हाथ का कटोरा अब किसी के आगे नहीं फैलाएँगे।
अगर छात्र हैं तो मैं आपसे कहना चाहूँगा कि जिस दिन मैट्रिक पास कर लो उसके बाद भूल-चूक से भी अपने माँ-बाप से अपनी ग्यारहवीं की पढ़ाई के पैसे मत लीजिएगा। छोटे बच्चों की ट्यूशन कर लीजिएगा। इससे आपने जो ज्ञान 120 |
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