Book Title: Kaise Khole Kismat ke Tale
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 121
________________ जिंदगी प्यार का गीत है, इसे हर दिल को गाना पड़ेगा। जिंदगी ग़म का सागर भी है, हँस के उस पार जाना पड़ेगा। हर आदमी अपने भीतर जोश जगा ले और यह कहना छोड़ दे कि मैं कुछ नहीं कर सकता। हर शख्स जोश और तबियत के साथ कहे कि मैं हर काम कर सकता हूँ। नासमझ लोगों के लिए होता है असंभव। आलसियों के लिए होता है नामुमकिन। तीर-कमान उठाओ और असंभव पर निशाना लगाओ। जैसे ही निशाना लगेगा असंभव का अनीचे गिर जाएगा और सब कुछ संभव हो जाएगा। महावीर और बुद्ध का प्रसिद्ध वचन है – 'अप्प दीपो भव' अपने दीप तुम खुद बनो। कोई अगर तुम्हारा साथ दे तो ठीक है, नहीं तो अकेले ही अंधेरे से लड़ो।निर्बल से लड़ाई बलवान की, यह कहानी है दीये की और तूफान की। जिसका जितना हो आँचल यहाँ पर, उसको सौगात उतनी मिलेगी फूल जीवन में गर ना मिले तो, काँटों से भी निभाना पड़ेगा। याद रखें, खाली बोरी कभी खड़ी नहीं हो सकती। बोरी को खड़ा करने के लिए उसमें कुछ-न-कुछ भरना पड़ता है। भरने के नाम पर सबसे पहले तो ज़ज़्बा और जुनून ही भरना पड़ता है, आत्म-विश्वास भरना पड़ता है। आत्म-विश्वास से बढ़कर कोई मित्र नहीं होता, आत्म-विश्वास से बढ़कर कोई संबल नहीं होता। आत्म-विश्वास से बढ़कर कोई ताक़त और दौलत नहीं होती।आत्म-विश्वास से बढ़कर कोई संजीवनी नहीं होती। सबकी ताक़त एक ही है और वह है भीतर पलने वाला आत्म-विश्वास । आत्म-विश्वास यानी खुद पर खुद का यकीन । भले ही आपकी छाती 36 इंच की ही क्यों न हो, पर अपने दिल को भीतर से 36 इंच का करना सीखो। शरीर तो मेरा भी कोई ताक़तवर नहीं है, भारी नहीं है। भारी शरीर का कोई मूल्य नहीं होता, असली ज़ज़्बा दिल का चाहिए, भीतर का चाहिए। भीतर में अगर ज़ज़्बा है तो नब्बे साल का बूढ़ा भी कोई बूढ़ा नहीं है वह भी युवा है। नब्बे साल का डोकरा भी छोकरा है, अगर जीना सीख जाए तो! ऐसा हुआ। एक राजा पर किसी दूसरे राजा ने हमला बोल दिया। जिसने हमला किया वह बड़ा शक्तिशाली राजा था। सेनापति ने राजा को समझायामहाराज! आत्मसमर्पण कर दीजिए क्योंकि सामने वाली सेना हमसे दुगुनी है। शस्त्र और हथियार भी अपने से ज्यादा तेज हैं। वे ज़्यादा प्रशिक्षित लोग हैं। राजा को भी लगा कि सेनापति ठीक कह रहा है, जब सेनापति ही ठंडा पड़ रहा है तो 122 | Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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