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तार...। लोग हिप्नोटाईज्म करते होंगे, भाई शब्द भी हिप्नोटाईज्म कर सकता है, बिल्कुल आत्मा से आत्मा जुड़ जाती है। देह की वीणा के तार झंकृत हो जाते हैं।
चौथा काम - हमेशा हास्य बोध बनाये रखिए। मुर्दे की तरह मत रहो। रोते मत रहो। रोना ज़िंदगी में तभी चाहिए जब दूसरों की पीड़ा देखो तब आँखों में से
आँसू ढुलका देना, बाकी जिंदगी में कभी रोने का क्या काम? अपनी पीड़ा को देखकर रोने लगे तो इसका मतलब आपको अभी तक जीना ही नहीं आया। महावीर स्वामी जी को न जाने कितने संघर्ष, कितने कष्ट झेलने पड़े थे परन्तु फिर भी वे डिगे नहीं। साढ़े बारह वर्ष तक झेलते रहे, लोगों ने कानों में कीलें भी ठोंक दीं, पर वह सख्श डिगा नहीं, अडिग रहे, अविचल रहे और तभी तो उनको परम ज्ञान और कैवल्य ज्ञान मिला। मुर्दे की तरह नहीं जिएँ। आपके चेहरे को देखकर लगना चाहिए कि आप किसी मंदिरजी की मूर्ति नहीं हैं बल्कि आप धरती पर चलते-फिरते भगवान की प्रतिमा हैं। मंदिर में भी भगवान है और मंदिर के बाहर भी भगवान है । वहाँ पर मौन भगवान है और यहाँ पर चलते-फिरते भगवान हैं। अगर आप भी यों ही बैठे हैं, हिलते नहीं, डुलते नहीं। कुछ बोलो तो बतियाते नहीं बस बैठे हैं, तो फिर आपके पास क्या जायें? मंदिर जी में ही चले जायें! वहाँ पर भगवान हैं ही, फिर उनसे बोलेंगे। आपको देखकर लगना चाहिए कि गुलाब का फूल खिल गया। घर पर कोई मेहमान आया तो आप कहेंगे देखो फिर आ गया। वहीं पर यदि आप कहें कि आप आये हैं, अरे भाई बड़ा मज़ा आ गया, एक पाव खून बढ़ गया।
हास्य बोध व्यक्ति को अपने भीतर बनाये रखना चाहिए। हँसता हुआ बच्चा अच्छा लगता है और रोता बूढ़ा भी बुरा लगता है। कोई दादाजी ने मुझे बताया कि उनका पोता रोता है तो कितना बुरा लगता है, संभाला ही नहीं जाता, बोलते हैं बहूरानी तू ही ले जा और हँसता है तो इच्छा होती है उसको गोद में लूँ, प्यार करूँ क्योंकि हँसता बच्चा स्वर्ग की किलकारी है। अपने भीतर हमेशा हास्य बोध बनाये रखिए। सुबह भी हँसिए, दोपहर में भी हँसिए, रात को भी हँस लीजिए। आधी रात को अगर आँख खुल जाए तो भी हँस लीजिए। लोग लाफिंग क्लब चलाते हैं, हमें हँसना ही नहीं आता। हमारे देश की महिलाओं को केवल रोना आता है। भाई रोना-धोना छोड़ो। ज़ज़्बा जगाओ, विश्वास जगाओ और हँसने-मुस्कुराने की आदत डालो। किसी भी रूप में हँस लो, पर हँसो। पर किसी दूसरे पर मत हँसिएगा। बाकी दिन भर हँसते रहिएगा। हँसते रहेंगे तो बालम भी अच्छे लगेंगे 128 |
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