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है। साईकिल पर कितने लोगों को ले जा सकते हो आप? दो या तीन। अगर साइकिल की हवा निकाल दें तो खुद को ही नहीं ले जा पाओगे, दो-चार की तो दूर रही। हवा में कदम है, हवा में बड़ी ताक़त है। हवा से अगर टायर-ट्यूब भरकर चार लोगा क. जाया सकता है तो क्या इस काया में हवा भरकर तरोताज़ा नहीं किया जा सकता?
शरीर को, दिमाग का, प्राणों को, चेतना को, हृदय को सक्रिय करने का सबसे कारगर तरीका है : प्राणायाम करो। केवल दो मिनट का प्राणायाम करके देखिए कि आपके भीतर ऊर्जा का संचार हुआ या नहीं। केवल दो मिनिट का प्राणायाम करते हैं और यह प्राणायाम है दिमाग़ के टेंशन को दूर करने का। यह माइग्रेन को दूर करने का। भीतर में जमे हुए तनावों को दूर करने का प्राणायाम । जब कोई व्यक्ति टेंशन से उबर जाता है, चिंता से मुक्त हो जाता है, भीतर के दबाव कम हो जाते हैं, तो अपने आप ऊर्जा जाग्रत हो जाती है।
हाथों को कंधे के पास लाइए। हाथ की मुट्ठी बाँध लेंगे। साँस लेते हुए हाथों को ऊपर ले जायेंगे और साँस छोड़ते हुए हाथों को वापस नीचे लायेंगे। अब मुट्ठी बाँध लीजिए। पूरी गति से करेंगे। पूरी मस्ती से, पूरे तन-मन से। मुट्ठी बाँध लीजिए। केवल दस बार करके देखेंगे कि हमारे दिमाग़ पर, हमारे शरीर पर कितना सकारात्मक प्रभाव आया। कंधे के बराबर हाथ लाइए। मुट्ठी बाँधिये। ऊपर-नीचे। रिलेक्स । पूरी बॉडी को, दिमाग़ को आधा मिनट रिलेक्स कीजिए। पहला काम मैंने बताया कि फुर्ती से उठो, दूसरा काम प्राणायाम करो। इसका नाम है मस्तिष्क-शुद्धि प्राणायाम। संबोधि-साधना शिविर में प्राणायाम करवाते हैं उसमें से यह प्रयोग आत्म-विश्वास जगाने का प्राणायाम है।
तीसरा : कमर को सीधा रखा करो, सीधे बैठने का अर्थ यह नहीं कि अकड़कर बैठो। अपनी कमर की ताक़त स्वयं ही समझ लो और अपनी कमर जितनी सीधी रह सकती है उतनी ही सहज सीधी रखो। आत्म-विश्वास तब तक रहेगा जब तक कमर सीधी रहेगी और जैसे ही झुके कि आत्म-विश्वास भी झुकने लग गया, आप आलस्य में चले गये। नींद आने लग गई। हिन्दुस्तान में जितने सत्संग और प्रवचन होते हैं वहाँ पर आधे लोग झोंके खाते रहते हैं। यहाँ मैं ऐसा होने ही नहीं देता क्योंकि ऐसा होने का मौका ही नहीं मिलता। आदमी का तार से तार इतना जुड़ जाता है कि वह भूल जाता है कि वह कहाँ बैठा है। एक ही तार से
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