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इस्तेमाल करते हुए बोलो, चलो एक छोटी-सी कहानी कहता हूँ
ऐसा हुआ। एक राजा को पता चला कि अमुक आदमी बड़ा मनहूस है। कोई भी व्यक्ति उसका मुँह देख ले तो दिन भर रोटी खाने को नहीं मिलती। राजा को लगा कि यह कोई अंधविश्वास है, ऐसा होता नहीं है। बोले, उसे पकड़कर लाओ। राजा की आज्ञा थी, सो पकड़ कर लाया गया। राजा ने सुबह उठते ही सबसे पहले उसी का मुँह देखा। सचमुच, दिन भर राजा को खाना नसीब न हुआ। शिकार में गए तो वहाँ भटक गए। लौटकर आए तो रानी ने बीमार होने की बात कही।खाने बैठे तो पहले कौर में ही मक्खी आ गिरी। राजा को लगा सचमुच, वो आदमी बड़ा मनहूस है। फाँसी पर चढ़ाने का आदेश हुआ, पर जैसे ही फाँसी पर चढ़ाने की वेला आई तो उससे पूछा गया कि तुम्हारी अंतिम इच्छा क्या है? उसने कहा कि मेरी अंतिम इच्छा राजा और न्यायाधीश दोनों को मेरे सामने लाया जाये। अब अंतिम इच्छा का सवाल आ गया तो उन्हें बुलाना पड़ा। उसने कहा कि राजा ने अगर मुझे फाँसी की सजा सुनाई है तो मैं फाँसी पर चढ़ने को तैयार हूँ, क्योंकि राजा का आदेश है । मैं कौन होता हूँ विरोध करने वाला लेकिन न्यायाधीश से मेरा अनुरोध है कि मुझे फाँसी पर चढ़ाया जाए इससे पूर्व इस राजा को फाँसी पर चढ़ा दिया जाए। ___न्यायाधीश ने कहा - अरे बुद्धू, तुम्हें मालूम है तुम क्या कह रहे हो? राजा तुम्हें मार डालेगा। मनहूस ने कहा - वह तो मुझे पहले से ही पता है। मुझे राजा से कोई मतलब नहीं है, मैं तो अपने को बचाने की कोशिश कर रहा हूँ। न्यायाधीश बोले, मालूम है तू क्या कह रहा है? राजा को तू कह रहा है कि फाँसी पर चढ़ा दो, बोलो क्या जुल्म किया है राजा ने? मनहूस बोला, राजा मुझसे ज़्यादा मनहूस है। पूछा गया, किस आधार पर तुम यह कहते हो? बोला – राजा ने मेरा मुँह देखा तो राजा को रोटी खाने को नहीं मिली, पर मैंने आज सुबह उठते ही इस राजा का मुँह देखा सो मुझे फाँसी मिल रही है। न्यायाधीश ने कहा - ऐ मनहूस! तू भाग्य का मारा तो है, पर है बड़ा बुद्धिमान । तेरा तर्क इतना पुख्ता है कि राजा के पास भी अब तुझे छोड़ने के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं है। ___जब भी संकट की वेला आ जाए, विपदा की वेला आ जाए, बाधाएँ आ जाए, तब-तब अपनी श्रेष्ठ बुद्धि का इस्तेमाल कीजिएगा। श्रेष्ठ बुद्धि हर संकट का पासा पलट देगी।
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