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पीठ थपथपाइये, तारीफ़ कीजिए ।
तारीफ़ सुनना घोड़े को ही नहीं, गधे को भी अच्छा लगता है। तारीफ़ करकरके तो आप नकामे आदमी और नकामी बहू से भी फायदा उठा लेंगे । होहल्ला, गाली-गलौच करके केवल मन में डर बैठाया जा सकता है, नहीं जगाया जा सकता। दूसरे में उत्साह जगा देना वाणी- व्यवहार का प्रभावी परिणाम है ।
उत्साह
चौथा स्टेप : जब भी बोलो हमेशा श्रेष्ठ बुद्धि का इस्तेमाल करो । जब भी बोलने का मौका आए, तो जो मन में आए उसे मत बक देना । हमेशा अपनी श्रेष्ठ बुद्धि का इस्तेमाल करते हुए बोलिएगा, क्योंकि हमारी वाणी में ही हमारी बुद्धि की आत्मा छिपी होती है । हमारी वाणी के द्वारा ही पता चलता है कि यह आदमी कितना बुद्धिमान और कितना बुद्ध है। बुद्धि का इस्तेमाल हमेशा ढंग से करें। एक सज्जन मेरे पास आए और बोले - जीवन जीने का सही तरीका क्या है? कैसे मैं स्तरीय जीवन जीऊँ। मैंने कहा - भाई, यह जवाब तो मैं आपको बाद में दूँगा, पहले यह काम करो। ये देखो मेरे पास में चिड़िया के छोटे-छोटे पंख पड़े हैं । इन पंखों को इकट्ठा कर लो। उसने छोटे-छोटे पंखों को इकटठा कर लिया। बोलेअब क्या करना है? मैंने कहा - इनको ले जाकर चौराहे पर छोड़ कर आ जाओ । वह चला गया, वे पंख वो वहाँ जाकर छोड़कर आ गया। वह लौटकर आया तो बोला - अब क्या करना है? मैंने कहा - अरे भाई मुझसे ग़लती हो गई । वे पंख उपयोगी थे। वापस जाओ और पंख इकट्ठे कर ले आओ। वो वहाँ पहुँचा तो उसे पंख मिले ही नहीं । चौराहे पर कोई पंख मिलते हैं क्या ! सारे पंख हवा में उड़उड़ा कर फुर्र हो गए। एकाध पंख बड़ी मुश्किल से ढूँढ-ढूँढा कर लाया । बोला, साहब वहाँ से तो सारे पंख उड़ गए। मैंने कहा - यही जीवन जीने का सही तरीका है कि बोलने से पहले चार बार सोचो, क्योंकि बोला हुआ शब्द चिड़िया के पंखों की तरह होता है । निकल गया तो निकल गया, उड़ गया तो उड़ गया। उसे वापस समेटा नहीं जा सकता ।
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तुलसी मीठे वचन से, सुख उपजे चहुँ ओर । वशीकरण यह मंत्र है, तजिये वचन कठोर ॥
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मिठास से बोलना और बोधपूर्वक बोलना संसार का सबसे अच्छा वशीकरण मंत्र है । अत: जब भी बोलो सम्भल कर बोलो, श्रेष्ठ बुद्धि का
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