Book Title: Kaise Khole Kismat ke Tale
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 113
________________ आत्म-विश्वास से छुएँ आसमां एक नामी सीमेंट कंपनी में एक व्यक्ति इंजीनियर के रूप में कार्यरत था। संयोग की बात कि उस इंजीनियर का एक्सीडेंट हो गया और एक्सीडेंट में उसके दोनों पाँव अपाहिज हो गए। इंजीनियर का उपचार हुआ, लेकिन उपचार के दौरान न जाने रीढ़ की हड्डी की कौनसी नब्ज दब गई सो उसके हाथ ने भी काम करना बंद कर दिया। एक अपाहिज व्यक्ति किसी भी प्राइवेट कंपनी के लिए भला किस रूप में उपयोगी हो सकता है ! साल-छ: महीने तक तो वह इंजीनियर वहाँ पर काम करता रहा। कंपनी का मैनेजमेंट भी उसकी चिकित्सा कराता रहा, लेकिन लगभग साल-सवा साल के बाद उस व्यक्ति को कंपनी से मुक्त कर दिया गया। वह व्यक्ति अपने गृह-नगर कोटा चला गया। अपने आप को पूरी तरह उसने अपाहिज पाया, लेकिन एक सुबह उठकर जब उसने ईश्वर की प्रार्थना की कि तभी उसे अन्तस् से प्रेरणा मिली कि उसके पाँव तो अपाहिज हैं, उसके हाथ भी अपाहिज हैं, शरीर उसका काम नहीं दे रहा है, लेकिन अभी भी उसका दिमाग़ पूरी तरह से काम दे रहा है। उसने सोचा कि मैं अपाहिज की जिंदगी जीने की बजाय अपनी बुद्धि का श्रेष्ठ इस्तेमाल करूँगा। उसने मोहल्ले के दो बच्चों को इंजीनियरिंग की पढ़ाई करवानी शुरू की। न केवल वह पढ़ाई करवाता बल्कि अपने कठोर अनुशासन में उन बच्चों को तैयार भी करता चला गया। उन दो बच्चों 114 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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