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दिन से ही अपने भीतर यह जुनून पैदा कर लिया था कि मैं टॉप टेन से नीचे नहीं आऊँगा। उसने वैसे ही गहराई से पढ़ाई करनी शुरू की और वह टॉप टेन में आने में सफल हुआ।
जिंदगी केवल एक चुनौती है, मेरे लिए भी और आपके लिए भी । जो व्यक्ति जिंदगी को एक चुनौती के रूप में लेगा वह हर व्यक्ति अपनी जिंदगी का परिणाम निकाल ही लेगा। जब तक जुनून और ज़ज़्बा नहीं होगा तब तक व्यक्ति गली में गुल्ली-डंडा तो खेल सकता है, पर सचिन तेंदुलकर नहीं बन सकता । अगर केवल गुल्ली-डंडे ही खेलना हो तो उसके लिए न कोई ज़ज़्बा चाहिए न कोई जुनून । अगर केवल क्लास में पास होना है तो मास्टर जी जितना पढ़ाते हैं उसमें संतोष कर लीजिएगा, पर अगर टॉप टेन में आना है तो गुरु ने जितना सिखाया है, उसमें कभी संतोष मत करना। उस ज्ञान को और आगे से आगे कैसे बढ़ाया जाए इसके लिए अपना पुरुषार्थ शुरू कर दीजिएगा ।
जीवन में बस जुनून चाहिए, ज़ज़्बा चाहिए। जीवन एक चुनौती है। जुनून के जरिए व्यक्ति इस चुनौती का सामना करता है । जो जीवन को चुनौती मानते हैं वे ही अपनी ज़िंदगी में कुछ बनते हैं। माना किसी का बाप मर गया, यह एक चुनौती है, उसके लिए मानो बचपन में माँ गुज़र गई, यह चुनौती है तुम्हारे लिए। माना हमारा और आपका जन्म किसी ग़रीब घर में हुआ यह भी एक चुनौती है। चुनौती लो और इसको स्वीकार करते हुए अपनी जिंदगी में कुछ ऐसा बनकर दिखाओ कि आने वाला कल यह न कह सके कि यह बिना माँ-बाप का बेटा है। कोई यह कह सके कि बचपन में इसके माँ-बाप गुज़र गए तो क्या हुआ, इसने अपने पाँव पर खड़े होकर इतनी मेहनत की है कि अपने माँ-बाप का नाम भी रोशन किया है।
तुम अपने आप को विद्रोह और विरोध के रूप में मत लो। माना अगर आप पाँच भाई थे, पिताजी गुज़र गए । कुछ भाइयों ने साँठ-गाँठ करके ज़्यादा धन अपने कब्जे में कर लिया। महँगी ज़मीन अपने कब्जे में कर ली और सस्ती ज़मीन आपके हिस्से में डाल दी । तुम भूल रहे हो कि उन्होंने ऐसा करके ज़मीन को तो अपने कब्जे में कर लिया लेकिन दुनियां में कोई भी आदमी किसी के भाग्य को तो नहीं ले सकता। किसी की क़िस्मत को तो नहीं खरीद सकता, किसी के पुरुषार्थ को तो अपने यहाँ पर गिरवी नहीं रख सकता। हम लोग अपने दैनंदिन जीवन में देखते हैं कि हम लोग बन तो चुके संन्यासी । संन्यास तो ले लिया लेकिन हमारी
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