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में होगा कि ये लोग कितने भले हैं जो मेरे साथ केवल ओछा व्यवहार करते हैं, ग़लत और अभद्र व्यवहार करते हैं, कम-से-कम मुझे थप्पड़, मुक्का तो नहीं मारते !' भगवान आधे मिनिट के लिए चुप हुए और फिर कहने लगे ' अगर ऐसा है तो मेरा अगला प्रश्न है कि अगर उन्होंने तुम्हें थप्पड़ और मुक्के मारे, तो तुम्हारे मन में क्या होगा?' शिष्य फिर मुस्कुराया और कहने लगा 'भगवन् ! तब मेरे मन में यह होगा कि ये लोग कितने भले हैं जो केवल थप्पड़ और मुक्का ही मारते हैं, तीर, बरछी और भाला तो नहीं चलाते ?' भगवान को इस जवाब की उम्मीद नहीं थी। भगवान ने तब कहा कि मेरा अंतिम प्रश्न है कि वहाँ के लोगों ने अगर तुम पर तीर, बरछी और भाला ही चला दिए और अगर तुम्हारे प्राण लेने को ही उतारू हो गए तो तुम्हारे मन में क्या होगा? शिष्य ने गौरव से सिर ऊपर उठाते हुए कहा - 'भंते! तब मेरे मन में होगा कि मैं भगवान के जिस प्रेम और शांति के पथ को आगे बढ़ाने के लिए अंग, बंग और कलिंग जैसे अनार्य देशों की तरफ निकला था मैं उस पथ को स्थापित करने में पूरी तरह सफल हुआ। अपने शरीर व प्राणों का त्याग करते समय ये भाव होंगे कि हे प्रभु! मैं आपका वह शिष्य साबित हुआ जो आपके प्रेम और शांति के मार्ग को स्थापित करने में काम आया।'
और तब श्री भगवान अपने शिष्य के सिर पर हाथ रखते हुए कहते हैं - 'जिस व्यक्ति के भीतर विपरीत हालात में भी इस तरह का धैर्य और शांति का भाव रहा करता है वही मेरे प्रेम और शांति के मार्ग को जन-जन तक पहुँचाने में सफल हो सकता है ।' तब भगवान ने कहा - 'जाओ वत्स ! मैं तुम्हें अनुमति देता हूँ, क्योंकि तुम जैसे शांत, प्रबुद्ध लोग धरती पर जहाँ-जहाँ जाएँगे, वहाँ हर जगह प्रेम और शांति की स्थापना करेंगे।' शिष्य वहाँ से निकल पड़ा श्री भगवान का आदेश और आशीर्वाद लेकर। शिष्य तो वहाँ से निकल पड़ा लेकिन जीवन का एक बुनियादी पाठ, एक महत्त्वपूर्ण पैग़ाम हम सब लोगों के लिए छोड़कर चला गया कि अगर किसी भी व्यक्ति के जीवन में विपरीत हालात आ जाए तो उन विपरीत हालातों में भी अपने धैर्य और शांति को बरकरार रखना चाहिए । इसी का नाम है 'सकारात्मक सोच'।
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कोई अगर मुझसे पूछे कि समारात्मक सोच क्या है तो मैं कहना चाहूँगा कि किसी के द्वारा उपेक्षा दिये जाने के बावजूद हमारे द्वारा अगर उसका सम्मान किया जाता है, अपमान दिये जाने के बावजूद अगर हमारे द्वारा सद्व्यवहार लौटाया जाता है, तो इसका नाम है सकारात्मक सोच । सकारात्मक सोच और नकारात्मक
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