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जितनी बड़ी
सोच उतना बड़ा
जादू
किसी समय श्री भगवान के समक्ष उनका प्रिय शिष्य पहुँचा और अनुरोध
करने लगा – भंते ! आपका धर्म बड़ा दिव्य है, आपके धर्म का पथ बड़ा कल्याणकारी है। मैं आपके प्रेम और शांति के पथ को, करुणा और अहिंसा के मार्ग को अंग-बंग और कलिंग देशों तक पहुँचाना चाहता हूँ।' भगवान ने अपने प्रिय शिष्य को एक नज़र से देखा और कहा – वहाँ के लोग बड़े क्रूर, निर्दयी और हत्यारे किस्म के हैं, तुम ऐसे देशों में जाने का भाव त्याग दो।
शिष्य ने कहा – 'भंते ! मुझे पता है कि वहाँ के लोग निर्दयी हैं , क्रूर हैं, लोगों के साथ अच्छा व्यवहार नहीं करते हैं। बस, इसीलिए मैं वहाँ जाना चाहता हूँ।' भगवान अपने शिष्य की बात सुनकर चौंके। वे कहने लगे - अगर तुम्हारी इच्छा है तो मैं तुम्हें मना तो नहीं करूँगा, लेकिन तुम जाओ, उससे पहले मैं तुमसे एक प्रश्न अवश्य पूछ लेना चाहूँगा। प्रश्न यह है कि अगर तुम ऐसे देशों की तरफ गए और वहाँ के लोगों ने तुम्हारे साथ ग़लत या अभद्र व्यवहार किया तो तुम्हारे मन में क्या होगा?
शिष्य मुस्कुराया और कहने लगा – 'भंते ! आप मुझसे प्रश्न पूछते हैं? मेरे मन
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