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स्कूल में केवल बच्चों की ड्रेसें मत देते रहिए। ऐसे कम्प्यूटर या नई-नई तकनीकों को स्कूलों में भेजिए जिससे बच्चों की प्रतिभाएँ सही तौर पर मुखर होकर आएँ। अब विद्या का युग आ गया है। खूब विद्यालय बनाओ, उच्च विद्यालय बनाओ, भले ही कोई व्यक्ति इससे व्यापार ही क्यों न करे। व्यापार करेगा आदमी तो कमाएगा तो सही। कपड़े का व्यापार करेगा तो भी कमाएगा और किरयाणे का व्यापार करेगा तो भी कमाएगा। भले ही तुम एज्यूकेशन के नाम पर कमा लो, पर हाई लेवल की तकनीकें इस मानव-समाज को समर्पित करो।
अब तक आप लोगों ने अ से अनार की वर्णमाला सीखी है। मैं आप लोगों को जीवन की वर्णमाला सिखा देता हूँ। अब तक आपने पढ़ा है - असे अनार, आ से आम, इ से इमली, उ से उल्लू। मैं जो तकनीक दे रहा हूँ वह वर्णमाला जीवन की है।
अ से अदब करो। आ से आत्मविश्वास रखो। इ से इबादत करो, ई से ईमानदार बनो। उ से उत्साह रखो। ऊ से ऊर्जावान बनो। ए से एकता रखो। ऐ से ऐश्वर्यवान बनो। ओ से ओजस्वी बनो। औ से औरों की सेवा करो। अं से अंगप्रदर्शन मत करो। __इसी तरह क से कर्म करो, ख से खरे बनो, ग से गरिमा रखो, घ से घमण्ड मत करो। च से चरित्रवान बनो, छ से छलो मत, ज से जलो मत, झ से झगड़ो मत।ट से टकराओ मत, ठ से ठगो मत, ड से डरो मत, ढ से ढलना सीखो। त से तत्पर बनो. थ से थको मत, द से दया करो, ध से धर्म करो, न से नरम बनो।पसे परिश्रम करो, फ से फर्ज़ निभाओ, ब से बलवान बनो, म से महान बनो। य से यकीन करो, र से रहम करो, ल से लक्ष्य प्राप्त करो, व से वचन निभाओ। ष से षडयंत्र मत रचो,श से शर्म करो, स से समय के पाबंद बनो। ह से हँसमुख बनो, क्ष से क्षमा करो, त्र से त्राहि मत मचाओ और ज्ञ से ज्ञानी बनो। यह हुई जीवन की वर्णमाला, अपने बच्चों को पढ़ाओ। अगर कोई बच्चा केवल जीवन की यह वर्णमाला भी जीवन में चरितार्थ कर ले तो समझ लेना कि जीवन की एम.बी.ए. हो गया।
शिक्षा केवल वह नहीं है जो हमें एम.ए. करवाए। सच्ची शिक्षा तो वह है जो हमें एम.ए. के साथ एन भी बनाए। एम ए एन = मैन यानी मनुष्य बनाए। इंस्टीट्यूट में जाकर आप एम.बी.ए. करेंगे। यानी बिजनेस मैनेजमेंट सीखेंगे। बिजनेस मैनेजमेंट बाद में सीखें, पहले लाइफ मैनेजमेंट तो सीख लें। बिजनेस
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