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अगला सूत्र :
काक चेष्टा बको ध्यानं श्वान निद्रा तथैव च।
अल्पाहारी गृहत्यागी विद्यार्थीः पंच लक्षणं॥ जो व्यक्ति विद्या अर्जन कर रहा है उसके पाँच लक्षण हैं। पहला है काकचेष्टा। उसकी कोशिशें कौए की तरह होनी चाहिए। कौए को कोई एक्सीडेंट में मरा हुआ नहीं देख पायेगा, इतना चतुर और सावधान रहता है। बको ध्यानं - बगुले की तरह ध्यान होना चाहिए, श्वान निद्रा - कुत्ते की तरह नींद होनी चाहिए। कुत्ता एक चुटकी में ही रात में जग जाया करता है, इसलिए घर के लोग सो जाते हैं, पर कुत्ता हमेशा जगा हुआ रहता है। वह सोकर भी जागरूक रहता है। विद्यार्थी को भी, कुत्ते की तरह नींद लेनी चाहिए। यूँ नहीं कि पड़ गये तो अब सुबह 11 बजे ही उठेंगे। सुअर की नींद मत सोओ भाई, कुत्ते की नींद सोओ। अल्पाहारी - पढ़ाई अगर करनी है तो डटकर मत खाओ, थोड़ा-थोड़ा खाओ। ज्यादा खाओगे तो आलस पैदा होगा, प्रमाद आएगा और थोड़ा-थोड़ा खाओगे तो एनर्जी मिलेगी, पर एक्टिव रहोगे। गृहत्यागी - अगर सही में पढ़ना चाहते हो तो घर का मोह छोड़ दो। घर में नहीं पढ़ सकते, किसी छात्रावास में चले जाओ। वहाँ पर दिन भर सुबह से लेकर रात तक पढ़ाई होगी क्योंकि सारे छात्र ही पढ़ाई करते हुए नज़र आएँगे तो अपने आप पढ़ाई होगी। घर में रहोगे तो मटरगश्ती याद आएगी, स्कूल-गुरुकुल में रहोगे, तो पढ़ना-लिखना याद आएगा। जैसा वातावरण, वैसा परिणाम!
मैं इसीलिए कहता हूँ कि अगर अपने बच्चों को कमाना सिखाना हो, पाँवों पर खड़ा करना हो तो उनको घर से बाहर निकालो और पढ़ाई करना सिखाना हो तो भी घर से बाहर निकालो। घर में आएगा तो बोलेगा कि मम्मी यह सब्जी नहीं भाती, वह सब्जी नहीं भाती, पर छात्रावास में रहेगा तो ठंडी सब्जी भी खानी पड़ेगी। जो नहीं भाती है वह सब्जी भी चलानी पड़ेगी। यही तो जीवन को जीने का तरीका सीखना हुआ कि सब चीज़ों से समझौता करो और ज्ञान का अर्जन करो। इसीलिए तो पहले जमाने में बारह-बारह साल तक गुरुकुल में बच्चे रहते थे और वहाँ से जो पढ़कर निकलते, उनको टक्कर देने वाले लोग फिर दुनिया में कहीं नहीं होते थे। बारह साल जमकर पढ़कर आये हैं। यहाँ तो कभी बर्थडे मनाना याद आता है, कभी आइस्क्रीम खानी याद आती है। ले देकर सारे छोरे पैसों का हलाल करते हैं। अपने केरियर का निर्माण नहीं करते । केवल मटरगश्ती में ही 66|
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