Book Title: Kaise Khole Kismat ke Tale
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 77
________________ रावण सीधा मन्दोदरी के महल में पहुँचा। मन्दोदरी ने कहा -'राजन् ! मैं आपकी आरती उतारती हूँ, आपके सम्मान में मोतियों के चौक पुराती हूँ कि आपके नाम का पत्थर भी तैर गया, पर राजन् ! मुझे ज़रा यह समझा दीजिए कि आखिर इसमें क्या रहस्य है जिसके चलते वह पत्थर पानी में तैर गया?' रावण ने कहा, प्रियतमे ! अब तुमसे क्या सच छिपाना। सच्चाई तो यह है कि नाम तो मैंने पत्थर के ऊपर रावण लिखा था, लेकिन जब पत्थर को पानी में छोड़ा तो मैंने पत्थर से मन-ही-मन कहा – हे पत्थर ! तुम्हें राम की सौगंध है अगर तुम पानी में डूब गए तो। बस यह कहते हुए मैंने पत्थर को पानी में छोड़ दिया और पत्थर पानी में तिर गया। __पत्थर तो पानी में तिर गया, लेकिन हमारे लिए जीवन का पैग़ाम दे गया कि अगर कोई रावण भी राम के प्रति केवल दो-पाँच मिनट के लिए भी सकारात्मक सोच बना लेता है तो उसके नाम का पत्थर भी पानी में तैर सकता है। अगर कोई व्यक्ति अपने दुश्मन के प्रति भी दस मिनट के लिए सकारात्मक सोच बना ले, तो क्या दुश्मनी खत्म नहीं हो जाएगी? दो भाई-भाई जिनका कोर्ट में केस चल रहा है, वे ज़रा दो पल के लिए पॉजिटिव होकर सोचें तो लगेगा कि मैं किसके साथ दुश्मनी पाल रहा हूँ। बड़ा भाई पिता के समान होता है, उन्होंने हमें पाल-पोसकर बड़ा किया है । अथवा छोटा भाई संतान के बराबर होता है। क्या फ़र्क पड़ता है, दो पैसे एक के पास ज्यादा गए या दूसरे के पास। आखिर घी गिरा तो मूंग में ही। राम ने कहा था - अयोध्या का राजा राम बने या भरत, इससे क्या फ़र्क पड़ता है। राम राजा बनेगा तब भी राजसुख सभी भाई भोगेंगे और भरत बना तो भी सभी भाई राजसुख भोगेंगे। काश, हमारी सोच सकारात्मक हो जाए तो कोर्ट केस खत्म हो जाए, फिर से प्रेम-मोहब्बत के द्वार खुल जाएँ। सोचो, सोचकर सोचो कि हमें नकारात्मक सोचना चाहिए कि सकारात्मक सोचना चाहिए। हमें कौनसी सोच का मालिक बनना चाहिए – 'सकारात्मक' या नकारात्मक'? गाँधीजी के तीन बंदर सबको याद हैं। पहला बंदर कहता है - बुरा मन सुनो। दूसरा बंदर कहता है - बुरा मत देखो और तीसरा बंदर कहता है - बुरा मत बोलो। गाँधीजी के ये तीन बंदर हैं। सभी लोग तीन बंदरों की इन मुद्राओं को बनाएँ और इन तीन प्रतीकों के आधार पर अपने जीवन में प्रेरणा लें। गाँधीजी के तीन बंदर तो हो गए, पर चन्द्रप्रभ के चार बंदर हैं । यह चौथा बंदर सिर पर अपनी 78 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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